Deepika Keshri   (©दीपिका केशरी)
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Joined 10 December 2016


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4 FEB 2022 AT 21:44

जो मैं तुम्हारा नाम बार-बार दोहरा रही हूँ
तो क्या आज कल तुम
हिचकियों के लहज़े में अपनी बात कह रहे हो।— % &

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19 JAN 2022 AT 20:36

मैं ना कहती थी
तपोगे तपोगे जितना
मौला उतनी ही तसल्ली से तुम्हें
करुणा से तर करेगा।

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13 JAN 2022 AT 22:01

मुझे बाँसुरी बनने का हुनर देना
मैं इस तरह तुम्हारे लबों तक पहुंच जाऊंगी...

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26 MAY 2021 AT 21:56

वो ज्ञान प्राप्ति हेतु एकांत ढूंढते हुए जंगल नहीं जाती
वो अपने दुधमुंहे संतान को छाती से लगाते हुए
रसोईघर में जाकर दूध गर्म करती है
उसे ये ज्ञान उसकी माँ ने गर्भ में दिया था कि
जीव पर दया परम धर्म है।

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23 FEB 2021 AT 22:09

पिता मेरे...
खोने का सही अर्थ तुम्हें खोने के बाद जाना
पाने का सही अर्थ तुमसे ही सीखा था
फिर हर दफे खोने का अर्थ
पाने के अर्थ को क्यूं भूला देता है
खोना सत्य है तो पाना अर्ध सत्य क्यूं लगता है
अगर धरती गोल है तो तुम मुझे फिर क्यूं नहीं मिल जाते
दुनिया में हमारे हम शक्ल होते हैं तो
तुम्हारा कोई हमशक्ल मुझको क्यूं नहीं दिखता,
पिता मेरे
अगर कोई डाकिया है तुम्हारे आस पास
तो तुम मेरे पते पर चिट्ठियां क्यूं नहीं भिजवाते।

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29 JUL 2019 AT 11:25

ओ धानी

मैं किसान का बेटा हूँ
तुम्हारी सूरत धरा है

मुझे वहां धान के बोसे बोना है!

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12 MAY 2019 AT 13:51

पिता कहते थे
जीवन से जुड़ा पहला आदमी माँ की तरह सुन्दर होता है !

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5 MAY 2019 AT 21:21

मेरी जान
ख़फ़ा हो तुम

चलो ठीक है ख़फ़ा रहो तुम!

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14 NOV 2018 AT 18:57

पुरुष का बचपन बचाकर रखती है
हर वो स्त्री
जो उसे प्रेम करती है!

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30 APR 2018 AT 12:28

बुद्ध की बातों में एक स्त्री का चेहरा दिखता है
शायद वही यशोधरा है !

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