दीदी क्या दूं तुम्हें दुआ,
मेरी रज़ा तुम हो,
कज़ायें राह की तुम्हारी,
हो मयस्सर मुझे,
उमर द़राज़ हो तुम्हारी,
हर तरफ़ हो मौसम खुशियों के,
सतरंगी हो हर राह तुम्हारी,
मैं रहू न रहू कोई गम नहीं,
मैं रहू जिन्दा हर याद में तुम्हारी,
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ दीदी..
💐💐💐🙏🙏🙏
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Social,simple,straight.
Electrical Engineer by mista... read more
इश्क नहीं इस जहाँ में हर किसी के नसीब..
ये तो खुदाया नूर है नहीं होता यूं ही रुह के करीब..-
इक आहट हुई..
और वो मिरी चाहत हुई...
जरा सी सरसराहट हुई..
रुह सी फिर वो इबादत हुई..-
क़तरा क़तरा महसूस होते हो तुम साँसों की तरह..
परस्तिश ओ बन्दगी कुछ इस तरह की है हमनें..
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मिहिर से महताब तक..
ईक अनसुलझे ख्बाब तक..
पहेली हुई किताब तक..
अधखिले से गुलाब तक..
खुमारी सा इजहारी हुआ इश्क..-
तुम्हारा होले से रुठ जाना ही मुहब्बत है..
यही तो खुदाया ईनायत है..
रुह का रुह से राब्ता सा तो है..-
शिकस्ता सी थी मिरी जिन्दगी..
अहिस्ता से आ कर तूने इसे बन्दगी बना दिया..-
अब तो हर जगह तू ही मयस्सर है,मेरी जिन्दगी कुछ यूं तुझ से तरबतर है...
हर साँस में तू है समायी,मेरी रुह कुछ इस तरह तेरा घर है...
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साँसों की तरह रेत सी फ़िसलती तुम..
और सूर्ख लहू सा बिखरता मैं...
जीवन और मृत्यु के नादों में गुजंता ..
व्यथित विरह में झूमता प्रेम गीत..-