Meheer Kashyap   (मिहिर)
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Joined 17 September 2017


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Joined 17 September 2017
14 OCT 2017 AT 10:32

दीदी क्या दूं तुम्हें दुआ,
मेरी रज़ा तुम हो,
कज़ायें राह की तुम्हारी,
हो मयस्सर मुझे,
उमर द़राज़ हो तुम्हारी,
हर तरफ़ हो मौसम खुशियों के,
सतरंगी हो हर राह तुम्हारी,
मैं रहू न रहू कोई गम नहीं,
मैं रहू जिन्दा हर याद में तुम्हारी,

जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ दीदी..
💐💐💐🙏🙏🙏

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1 JUL 2020 AT 19:26


इश्क नहीं इस जहाँ में हर किसी के नसीब..
ये तो खुदाया नूर है नहीं होता यूं ही रुह के करीब..

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30 JUN 2020 AT 9:46

इक आहट हुई..
और वो मिरी चाहत हुई...
जरा सी सरसराहट हुई..
रुह सी फिर वो इबादत हुई..

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29 JUN 2020 AT 12:43


क़तरा क़तरा महसूस होते हो तुम साँसों की तरह..
परस्तिश ओ बन्दगी कुछ इस तरह की है हमनें..



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29 JUN 2020 AT 9:27

मिहिर से महताब तक..
ईक अनसुलझे ख्बाब तक..
पहेली हुई किताब तक..
अधखिले से गुलाब तक..
खुमारी सा इजहारी हुआ इश्क..

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28 JUN 2020 AT 12:21

तुम्हारा होले से रुठ जाना ही मुहब्बत है..
यही तो खुदाया ईनायत है..
रुह का रुह से राब्ता सा तो है..

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23 JUN 2020 AT 15:54

शिकस्ता सी थी मिरी जिन्दगी..
अहिस्ता से आ कर तूने इसे बन्दगी बना दिया..

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22 JUN 2020 AT 20:09

Silence carried with depth...
Smiled by her eyes..

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22 JUN 2020 AT 18:10



अब तो हर जगह तू ही मयस्सर है,मेरी जिन्दगी कुछ यूं तुझ से तरबतर है...
हर साँस में तू है समायी,मेरी रुह कुछ इस तरह तेरा घर है...

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20 JUN 2020 AT 19:22

साँसों की तरह रेत सी फ़िसलती तुम..
और सूर्ख लहू सा बिखरता मैं...
जीवन और मृत्यु के नादों में गुजंता ..
व्यथित विरह में झूमता प्रेम गीत..

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