QUOTES ON #मंज़र

#मंज़र quotes

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25 JAN 2018 AT 21:47

उस मुलाक़ात का मंज़र कुछ ऐसा होगा |
दर्द से दर्द मिलकर ,
इश्क़ फ़िर से ज़िंदा होगा |

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23 JUN 2021 AT 17:35

जमीन लगभग पूरी तरह भीग चुकी थी..

एक चींटा
पतली सी घास के सहारे
चलने की कोशिश कर रहा था बार बार..

यह भूलकर कि मुझे कहीं जाना है
मै रूकता हूँ...
और.. झाँककर पूछता हूँ
क्यों भाई चीटे !.... कैसे हो..?

चीटे पर दया करने के सुखद अनुभव से
मै अभी रोमांचित ही था कि..
मैने सुना—
जूते— पैरों के कानों मे फुसफुसाकर कह रहे थे

ईश्वरऽऽ.. है
उस पर यकीन करो.. । कविता ✍🏻

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14 FEB 2020 AT 13:58

अपनी ही परछाई के हाथों में खंजर देखें है
उम्र भले ही कम हो हमने सारे मंज़र देखें है

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14 NOV 2019 AT 20:30

तबाही से ख़ुद को कैसे रोक पाए
सादगी आड़ में देखे जो ये मंज़र ।

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19 MAY 2019 AT 19:03

Pighlenge Badaal aur Aasmaan per ghir se Jayenge... Be-matlab ke Manzar bhi Nazaaro se ban Jayenge.

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29 APR 2022 AT 19:06

मंज़र आगे ज़िंदगी का क्या होगा,
जब आलम अभी से ही यह है!!
इसी कशमकश में बेचैन बेबस
सा चलता जा रहा हूँ मैं!!
खुद समुंदर सा पलकों में छुपाये,
दुनिया को मुस्कराने की वजह
देता चला जा रहा हूँ मैं!!
दुनिया फिर भी ताने मारती है,
अपने फ़ायदे के लिए ही शायद
सबको हंसाते चला जा रहा हूँ मैं!!

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10 MAY 2021 AT 5:05

#11-05-2021 # काव्य कुसुम # संवेदना #
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जो कुछ देखती रहती है मेरी आँखें वो जुबाँ कह नहीं सकती।

जो कुछ जुबाँ कह नहीं पाती मेरी आँखें वो मंज़र सह नहीं सकती।

संवेदना के धरातल पर इंसानियत भी शर्मसार हो जाती है जब -

जो कुछ संवेदना समायी है उर में मेरे वो यूँ ही बह नहीं सकती।
======== गुड मार्निग =======

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28 MAY 2021 AT 11:52

जीवन के इस मंज़र ए मौत के सफर मे,
नफ़रतों के कांटे समेट, मोहब्बत के खुशबू बिखेरो,
किसने कब दिल दुखाया सारी बातें पीछे छोड़ो
वक़्त की नज़ाकत् है ये भी बदल जायेगा,
झूमेंगे गले लग एक दिन वो भी पल आयेगा.

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30 DEC 2019 AT 13:00

ख़िज़ां के ‌ज़रद,
पत्तों का वो मंज़र याद करता है
उसे कहना,
उसे अब भी दिसंबर याद करता है।

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1 FEB 2021 AT 16:29

रुखसते यार का मंजर भी क्या मंजर था

हमने खुद से ही खुद को बिछड़ते देखा

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