Vijay Thakur   (मैं और मेरे अल्फाज़)
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Joined 6 June 2020


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Joined 6 June 2020
56 MINUTES AGO

मेरी बेचैनी को देखकर।।
चाँद भी ख़ामोश सा हो गया,
ख़ामोशी मेरी देखकर।।

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19 HOURS AGO

हकीकत से परेशान हो तुम ए ग़ालिब,
हम तो ख़्वाबों के सताए हुए हैं।।

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23 HOURS AGO

मैंने वहाँ भी ख़ुद को रोका है,
जहाँ ख़ुद को रोक न पाना लाज़मी था।।

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13 OCT AT 18:12

पास तुम थे और ख्वाहिश ना थी कोई।।
एक शाम यह है,
ख्वाहिश तुमसे मिलने की लिए बैठे हैं।।

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13 OCT AT 12:59

ही कठिन ज़िंदगी की।।
मग़र यकीन मानो ,
सबक भी लाज़वाब होगा।।

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13 OCT AT 7:37

दुनिया को जान लिया।।
कौन अपना है यहाँ और कौन बेगाना,
मैंने वक्त के साथ सबको पहचान लिया।।

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12 OCT AT 19:55

वो गवाही किस्मत की दे रहे थे,
अपने गुनाह छुपाने के लिए,
और
मैं था कि गवाही वक्त की दे रहा था,
मुझे गुनहगार बनाने के लिए।।

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12 OCT AT 19:21

दुनिया परिचय अपनी अच्छाई का,
अपने दोस्तों से करवाती रही ।।
हमने बस इतना ही कहा कि,
दुश्मनों से मेरे पूछ लेना तुम।।

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12 OCT AT 19:17

आलिंगन जिस्म का चाहा सबने ,सबको मिला,
सब खुश रहे ज़िंदगी भर बुरा करके भी।
सज़ा मिली जिसने, आलिंगन रूह का चाहा।।

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12 OCT AT 19:08

पास तुम्हारे ,
दास्तानें ज़िंदगी मेरी सुनने के लिए।।
हुनर यूँ ही नहीं पा लिया हमने,
अक्सर ख़ामोश रहने का।।

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