मेरी बेचैनी को देखकर।।
चाँद भी ख़ामोश सा हो गया,
ख़ामोशी मेरी देखकर।।-
Vijay Thakur
(मैं और मेरे अल्फाज़)
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नफरत करने वालों के दिमाग में और प्यार करने वालों के दिल में!
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Joined 6 June 2020
13 OCT AT 18:12
पास तुम थे और ख्वाहिश ना थी कोई।।
एक शाम यह है,
ख्वाहिश तुमसे मिलने की लिए बैठे हैं।।-
13 OCT AT 7:37
दुनिया को जान लिया।।
कौन अपना है यहाँ और कौन बेगाना,
मैंने वक्त के साथ सबको पहचान लिया।।-
12 OCT AT 19:55
वो गवाही किस्मत की दे रहे थे,
अपने गुनाह छुपाने के लिए,
और
मैं था कि गवाही वक्त की दे रहा था,
मुझे गुनहगार बनाने के लिए।।-
12 OCT AT 19:21
दुनिया परिचय अपनी अच्छाई का,
अपने दोस्तों से करवाती रही ।।
हमने बस इतना ही कहा कि,
दुश्मनों से मेरे पूछ लेना तुम।।-
12 OCT AT 19:17
आलिंगन जिस्म का चाहा सबने ,सबको मिला,
सब खुश रहे ज़िंदगी भर बुरा करके भी।
सज़ा मिली जिसने, आलिंगन रूह का चाहा।।
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12 OCT AT 19:08
पास तुम्हारे ,
दास्तानें ज़िंदगी मेरी सुनने के लिए।।
हुनर यूँ ही नहीं पा लिया हमने,
अक्सर ख़ामोश रहने का।।
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