तूने देखा ही नही किस कदर मर रहा हुँ मैं,
एक पल मे टूटकर सौ दफा बिखर रहा हूँ मैं।
तेरे होने से महफ़िल का जान हुआ करता था,
बाद तेरे अब हर महफ़िल से मुकर रहा हूँ मैं!
होंगे और भी शायर भले टूटा हो दिल उनका पर,
नामुमकिन है बयां करना किस दर्द से गुज़र रहा हूँ मैं!
नजरे थकती नहीं रास्ते भी अब तो रुकते नहीं है,
इस तन्हाई ने नोचा वरना खुद मे शहर रहा हूँ मैं!
आरज़ू है अब कोई पुकारे लेकर नाम मेरा,
खो न जाऊँ कहीं बस इसी बात से डर रहा हूं मैं!-
A silent girl with talkative mind.
Medical student 👩🎓
कोइ पिता नहीँ चाहता रोकना उड़ा... read more
एक वक़्त था जब वो मुझे, अपने गली बुलाया करती थी,
मेरा दिया हुआ झुमका पहन ,खिड़की पर आया करती थी,
उसकी मुस्कुराहट बताती थी की कितना पसन्द आया है,
कोई देख ना ले इसलिए बालों के नीचे छुपाया करती थी,-
मेरे आधा भी मोहब्बत कर लेते तो आज कुछ और बात होती,
सुकूँ मिलता इस चाँद तले यूं ना आँसुओं की बरसात होती,
ये जो हर महफ़िल मे छुपाता है करतूतें अपनी मुझे बेवफा बताकर,
तो जान, गर मोहब्बत सच्ची न होती तो जाने कितनो से मुलाक़ात होती
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सिर्फ इतनी सी मेरी दर्द की कहानी है
लब खामोश है और आँखों मे पानी है-
तेरी आँखों मे छलकने को वो पहली सी चाहत,
उम्मीद है कि फिर मिले मुझे तेरी मोहब्बत!!
ठंडी हवाएं वो झिलमिलाती किरणो की छाव मे,
तेरी दी हुई पायल पहन के आऊँगी पांव मे!!
तुझे पसंद है ना मेरे माथे पर वो काली सी बिंदी,
फिर से एक होंगी अपनी ये दो राहें ज़िंदगी!!
तेरे उदास चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट आयेगी,
वो हमारी अधूरी मुलाक़ात ही हम करीब लायेगी!!
बिरह मे लिखी कविताएँ लिए तेरा इंतज़ार करूँगी,
तू राजी तो हो खुद से भी ज्यादा तुझे प्यार करूँगी!!-
समेट लिया खुद को तन्हाई की चादर मे,
यादों की एक खिड़की खुली रह गयी
कितना चुराते उनसे निगाहें
जिनका ख्वाबों मे भी इंतज़ार किया था
एक दफा देखा सामने जो उनको,
निगाहें मिली की मिली रह गयीं
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वो टूटे फूटपाथ पर अपनी थालिया सजाता है
जहाँ से अमीर थूक थूक गुज़र जाता है,
कभी दाल मे नामक कम, कभी रोटी जल जाता है
एक गरीब की ज़िंदगी तो इसी मे निकल जाता है,
गुड़िया के लिए नई गुड़िया वो कहा खरीद पाता है
जाने कितने औलाद बस दिलासे मे पल जाता है
इस दौर मे भी कितना इंतज़ार किया चिठियों का
जिस दौर मे दुनिया खुद को डिजिटल बताता है,-
Social media पर best friend forever
post me tag करने वाले दोस्त,
Real life मे एक छोटी सी जरूरत पड़ने पर
दूर दूर तक नज़र नही आते-
ना समझो बेजुबा इन खामोश आँखो को,
गर सुनो आहिस्ता से तो बहुत कुछ कहती हैं
दिल से दिमाग तक की सारी उलझने,
बड़ी खामोशी से अकेले ही सहती हैं
समझ ले गर कोई अनकहे जज्बातों को तो
अपनेपन मे थोड़ी छलक जाती हैं
वरना ना जाने कितने जख्मों को समेट
आँसुओ को इतला कर खामोशी मे बदल जाती है-
नही चाहत मेरी की, महल की महारानी बनू
इजाजत हो तो तेरे दिल की रानी बनू
नही रहना मुझे सुर्खियों मे जमाने की
तु लिखे सिर्फ लबो से अपने मै वो कहानी बनू-