ખુશી થી ખબર નહિ, જખ્મો થી બેશુમાર છે જિંદગી ;
વધ્યું તો કશુંય નહિ, છતાંયે સમૃદ્ધ છે આ જિંદગી ;
ખામોશી ઓઢી ને તો પછી કેટલુંક બોલી સકત હું ?
શબ્દો ના સકંજા થી તો પરે હોય છે બંદગી !
- હરિ-
Non verse
Gujarati 😉
જે આવવાના છે નહીં
એનાથી જ મતલબ મને ;
આવવાના છે એનું શું
આવતા હશે આવી જશે
- હરિ-
न जाने कहां कहां दर-बदर भटका हूं घनी छांऊ के लिए
कृष्णा, एक तेरा ही किनारा मिला है डूबती नाऊ के लिए
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कहीं अंधेरों से रिश्ता ही न ख़त्म हो जाए
ख़ुद को उजालों में बहुत न उछालिए जनाब
अब आह की आवाज भी सुनाई न देगी तुम्हे
ये ज़ख़्म बहुत गहराइयों में छिपा लिए जनाब
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में ये सोचू की ये आश्मां इतना नीला क्यों है ?
बरखुदार ! सब इतने अच्छे है तो ये शिकवा गिला क्यों है ?-
काम होवत लोग पास आवे
जैसे पावन गंगा होई ;
मलिन मलिन कहत दूर भागे
जब काम न होवे कोई-
उस इंसान ने भीतर कितना कुछ सहा होगा ?
जिसने खुद के प्यार को दूर जाने को कहा होगा
जहां तू कभी उसे नजरंदाज़ ना कर पाए वैसा
तू जाऐ फिर उसका एक ख़्वाब- ए - जहां होगा
और हर वो नेक दिल जहां पे उसकी कद्र नहीं
हंसी खुशी सब छोड़ वोह फ़ना भी वहां होगा-
तू जा रहा है तो क्यों रोके मुझको ?
खुद की ज़िम्मेदारी क्यों थोपे मुझको ?
केहनी थी जो बात वोह तो केह गया हूं
फिर भी अंदर कोई बात क्यों टोके मुझको ?
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कितने सारे लोग होंगे जो उसको पा न सके
हम अकेले ही नहीं है जो उसको पा न सके-
यहां लोग मतलब से मायने रखते है !
वरना
कहा दूसरे को देखने में आयने लगते है ?-