एक ओर है खड़ा अहम दूजे ओर तड़पता वहम एक ओर है अनाज कम कैसे थम जाए ये कदम एक ओर मानवीय भूल मानव को चुभ रही शूल उड़ रही है रोगों की धूल क्या नष्टतम जीव समूल एक ओर हक़ की लड़ाई दूजे ओर खाली है कढ़ाई हाय ये कैसी विपदा आई रक्षा करो हमारी महामाई एक ओर उत्पन्न है क्रोध दूजे प्रयोगशाला में शोध कोई कर रहा है संबोध कोई नहीं खड़ा विरोध एक ओर खड़े संभ्रांत दूजे ओर जनता आक्रांत और न जाने कितने ओर भूखे जन चिल्लाते भात