QUOTES ON #भय

#भय quotes

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1 NOV 2020 AT 11:24

जब मिशनरी अफ्रीका आए तो उनके पास बाइबिल थी और हमारे पास धरती, मिशनरी ने कहा 'हम सब प्रार्थना करें।' हमने प्रार्थना की। आंखें खोली तो पाया कि हमारे हाथ में बाइबिल थीं और भूमि उनके कब्जे में...

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20 MAY 2020 AT 0:36

कुछ खो देने या,
हार जाने का

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17 SEP 2020 AT 20:30

हम सब जीवन में किसी ना किसी बात को लेकर डरते हैं, डर मन की उपज है, गैर मौजूदा चीज को लेकर परेशान होते हैं।
यह इसलिए क्योंकि हकीकत की दुनिया में रहने के बजाय हम ख्याली दुनिया में रहते हैं,
बेवजह फिजूल की चीजें सोच कर तकलीफ सहते हैं।
समृद्धि का साईं नाथ से है यह कहना,
डर,भय,अप्रिय अनुभव से हम सबको मुक्त कर देना।

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9 JUN 2021 AT 8:07

"भय और त्रासदी" की एक बात अच्छी होती है,
"भय" इंसान की "जात" भुला देती है,
और "त्रासदी" इंसान को "सर्वोपरि" ना
होने का "याद" दिला देती है...!!!
:--स्तुति

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28 MAR 2019 AT 14:44

पास आना भी निर्णय तुम्हारा
दूर जाना भी निर्णय तुम्हारा
जैसा था वैसा हूँ अब भी
तुमको डराये बस भय तुम्हारा

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16 JAN 2021 AT 18:05

मकड़ियां बुनती है जाल
चिह्न लगाती है,एक निश्चित भाग पर
देती हैं जिसे "घर" का नाम
वो घात लगा कर बैठती हैं,
उन्हें नहीं स्वीकार्य, कोई "अतिथि"
जो परिधि की सीमा लांघ कर
आ पहुंचा हो भीतर।
क्रोधवश कर प्रहार, झट करती हैं, शिकार
इस प्रकार खाद्य श्रृंखला चलती रहती है
इससे उदर पूर्ति होती रहती है
विज्ञान देता है, इसे मकड़ियों की प्रकृति का नाम

मैं भी तुम्हारे चारो ओर
घेर देना चाहती हूं, एक घेरा
तुम्हें कैद कर लेना चाहती हूं
स्वयं के हृदय की परिधि के भीतर
तुम पर अंकित कर देना चाहती हूं
मेरी काजल का चिह्न
इस प्रकार सुनिश्चित करना चाहती हूं
मेरा स्थाई निवास, सदैव-सदैव के लिए
तुम्हारे हृदय के सीमा क्षेत्र में

तुम मेरे इस प्रेम को "ईर्ष्या" का नाम देते हो
और, मैं....प्रेम की प्रगाढ़ता से उपजे हुए "भय" का।

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2 JUN 2021 AT 22:00

"दाग दी जाती है
बचपन मे ही,
कुछ गायों के
बछियों की सींघें,
भविष्य के भय से...!

उसी तरह
कुछ क्रांतिकारी स्त्रियों की
जुबानें भी
बंद कर दी जाती है,
स्त्री बनने के
पहले ही,
पुरुषों की सत्ता पर
बगावत के भय से..!!"

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18 APR 2019 AT 21:31

मूक खड़ा देखता रह जाता हूँ वहशियत
मेरा परिवार है,मैं लाचार हूँ,मैं कायर हूँ।

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27 MAR 2020 AT 23:51

जब तक जिन्दगी में फ़राज़ दार का खतरा ना हो,
वो जिन्दगी, जिन्दगी नही हस्ती-ए-कम-अयार है,
शादाब कमाल


हस्ती-ए-कम-अयार=बेकार की ज़िन्दगी
फ़राज़ दार =ऊँची फाँसी का तख़्ता

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16 AUG 2021 AT 22:08

ना अब किसी को शर्म है,
ना किसी को भय है,
ना अब कोइ भगवान आएंगे,
ना कोई आगे प्रलय है,
पर हर औरत के अपमान के लिए
हर युग में एक "महाभारत" तय है..!!!!
:--स्तुति

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