बोलना..
कई दफ़ा इसलिए भी ज़रूरी होता है
क्यूँकि कुछ ग़लतफ़हमियाँ मिट सकती हैं
कई लड़ाईयाँ रुक सकती हैं..
न बोलना..
कई दफ़ा इसलिए भी ज़रूरी होता है
क्यूँकि कई बातें दब सकती हैं
कई लड़ाईयाँ रुक सकती हैं..
(full in caption)-
बोल उठी एक साथ निगाहें,
किसको देख रही ये निगाहें,
मजमा सारा लिए मजा है,
जुल्म देख झुकी ये निगाहें,
गिरकर पलकें हार मान ली,
खुद्दार मगर रही ये निगाहें,
आओ मिलकर समझाते है,
नशा दिखाती है ये निगाहें।-
वो कह कर गयी थी मैं लौटकर आउंगी
मैं इंतजार ना करता तो क्या करता
वो झूठ भी बोल रही थी बड़े सलीके से
मैं एतबार ना करता तो क्या क्या करता-
अच्छा है जो कपड़े बोल नहीं पाते,
अगर बोल पाते तो कई राज खोल जाते।
चमकती शर्ट भी जानती है, किसका मन कितना मैला है,
और पैंट बता देती कौन कहाँ से कितना फैला है।
बड़ी शिकायत है शर्ट के कॉलर को,
सबसे ज्यादा यही घिसी जाती है।
उसके बाद है आस्तीन की बारी,
दुश्मन कोई और होता है, बदनाम ये हो जाती है।-
कुछ मीठा ही देना चाहते हो,
तो दो मीठे बोल देदो मुझे।
नहीं तो मुह मीठा तो मैं
पास के दुकान से भी कर सकता हूँ।।-
बोल न पाए जो, सही को सही और गलत को गलत।
कोई फायदा नहीं, चाहे कितने भी पन्ने लिए हो पलट।।-
बेझिझक, बेशक एक बार कहो तो सही
नहीं रहना है तुम्हें मेरे साथ.......
हस्ते - हस्ते छोड़ दूंगी तुम्हारी गली,
ज़िक्र भी ना होगा, दिल की बातें दिल में होगी दफ़न।।-