जो टूटकर भी मुस्कुरा दूं...
ऐसी बेशर्म हूं मैं...-
ये जो तुम्हारे लहज़ों में गर्मी में
कहीं ना कहीं मेरे स्वभाव की नरमी है
जमाना कह रहा बेवफ़ा तुमको
इसमें तुम्हारी ही तो बेशर्मी है-
चलो हम दोनों ही बच्चे बन जाते हैं
फ़िर से 'बेपरवाह', 'बेग़ैरत', 'बेज़बान' हो जाते हैं;
तुम मुझसे ना लड़ो, मैं तुमसे ना लडूँ
चलो हम दोनों ही 'बेगुनाह' हो जाते हैं;
मैं तुम्हे देखकर खिल जाऊँ
तुम मुझे देख कर शरमा जाओ
चलो हम दोनों ही 'बेसब्र' हो जाते हैं;
मैं तुम्हें छूकर मचल जाऊँ
तुम मुझे छूकर सिहर जाओ
चलो हम दोनों ही 'बेशर्म' हो जाते हैं;
तुम मुझसे मिलने की ज़िद्द करो
मैं तुम्हें देखने को आसमाँ उठा लूँ
चलो हम दोनों ही 'बेफ़िक्र' हो जाते हैं;
तुम बस मुझसे खेलती रहो
मैं बस तुमसे खेलता रहूँ
चलो हम दोनों ही 'बेक़रार' हो जाते हैं;
तुम भोली हो जाओ, मैं शैतान हो जाता हूँ
चलो हम दोनों ही बेनज़ीर, बेचैन, बेख़बर हो जाते हैं
- साकेत गर्ग-
टूटा है मगर फिर भी मुस्कुरा रहा है ...
ये मेरा दिल भी मेरी जिंदगी की तरह बेशर्म हो रहा है...-
मिरा जिस्म न कुरेदीयेगा
यकीनन नापाक मिलेगा
मैं गमज़दा हूँ जो अगर
बेशक आप ही का हाथ मिलेगा
रूठें हो कब से कहो
ज़रा - सा अश्फ़ाक़ मिलेगा?
अब आप अच्छें नहीं लगते?
किसी और से ताल्लुकात मिलेगा
आप तो निहायती बेशर्म हो
बेशर्मी का भी कोई अस्बाब मिलेगा-
है व्यथित आज मन ये मेरा
किस ओर चला जीवन ये मेरा
कर्म लिखाकर विधाता से चली
डर डर कर गर्भ में भी मैं पली
जीवन पाते ही ड्योढ़ी में सिमटी
दो अभेद्य द्वारों की सीमा पर लड़ी
देश मेरा आज़ाद है जी , बस हवा ज़रा तंग है
कागजों पर ही लड़ी जाती यहां हर एक जंग है
देखकर दोमुहां संहिता विधाता भी दंग है
कपड़ों से इज़्ज़त, संस्कार तौली जाती
चाँद छुए तो बेशर्म कही जाती है
हाँ ये मेरा वही भारत है , जहां
नारी पूजनीय मानी जाती है
कभी वो हवा में झूलती है
कभी हवन हो जाती है-
हमे कुछ है करना
फिर जमाने से क्या डरना
जो करना है बस करना है
हमको जमाने से नहीं डरना है
🖤🚦-