QUOTES ON #बिखरतेरिश्ते

#बिखरतेरिश्ते quotes

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14 DEC 2020 AT 12:21

उफ़्फ़फ़फ़
बेहद
खूबसूरत
रचना
को पढ़िए...
बिखरते मूल्यों
पर वार करती
उम्दा
रचना...

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सुना था मुमकिन नहीं
"माता" का "कुमाता" बन जाना,
मगर...
कितने *असंभव*, *संभव* हुए,
कुछ महीनों की तालाबंदी में।
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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25 SEP 2019 AT 20:47

"बिखरते रिश्ते"

गैरों से होती तो कब की जीत लेता
पर जंग मेरी अपनों से है
कांटे होते तो कब का निकाल लेता है
घुटन बातों की चुभनों से है

तु जालिम है तेरा काम है ज़ुल्म करना
सितम सहने की आदत मुझको ही नहीं शायद
में समझता रहा कभी तो खतम होगा ये सिलसिला
पर मेरी फ़िक्र तुझको ही नहीं शायद

संभाल रखा है मैंने कबसे रिश्ता एक और से,
हवाओं के ज़ोर से कहीं ये टूट ना जाए
मैं तो मुसाफिर हुँ चल दूंगा आगे राह में
मुझे डर है तु कहीं पीछे छूट ना जाए

है अब भी वक़्त गिरने से पहले बचाले आशियाना
बड़ी मेहनत से हमने इसको बसाया है
ढहाना है तो भी तु अब देर ना कर
होनी को आखिर कौन फिर रोक पाया है

बुनियाद ही जिसकी गलत हो
वो रिश्ता आखिर टिक पायेगा भी कैसे
जहाँ कुछ बचा ही ना हो
वहां कोई कुछ ढूंढ़ पायेगा भी कैसे

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16 SEP 2019 AT 16:53

ग़लतफ़हमी का पर्दा और शक की बुनियाद
बिखरते रिश्ते की अभिक्रिया के अभिकर्मक हैं!
और अभिमान उत्प्रेरक !🙏

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13 MAY 2020 AT 18:37

गलतफहमियों से गिला था
या
गलतियों के लिए गिला था
अब क्या शिकवा करें...
उन्हें भी हमसे कम कहां मिला था

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कितनी बार तुमने तोड़ा है यकीन
कितनी बार हम भी टूटे हैं !

खुद को समेट लिया अब हमने भी
कितनी बार मेरे जज्बात लुटे हैं !!

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5 MAR 2024 AT 21:42

Umeed ka daman bhare bhi toh kis se ...
Riste hain aajkal artificial intelligence se
Sache bhav hmesha jhuthe se lagte ..iss banavti duniya me
Sansarik moh me kyoun n payar ho dolat se !

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27 APR 2020 AT 9:12

मौसम है बदलने का,
थोड़ा संवरने का,
तो बहुत कुछ बिखरने का.....

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18 APR 2022 AT 10:43

परिवर्तन या पतन
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जीवन में नवीनता लाने
याअपनाने में कोई दोष नहीं
किन्तु,अपनी पारंपरिकता
अपने संस्कारों का हनन करना
उनसे विमुख होना हमें दिन प्रतिदिन
पतन की ओर अग्रसर करते जा रहा है ।
संस्कृति व संस्कार ही हमारी आत्मा है और
आत्मा विहीन तन निश्चेतन ही होता है जिसका कोई मूल्य नहीं!

कृपया पूर्ण लेखअनुशीर्षक मेंपढ़ें... ।✍️
18.4.22

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25 JUN 2019 AT 21:09

कि रिश्ते अब एक बोझ है,
पैसे है तो मोल है नही तो फिर तु कौन है।
भाई-भाई का ना रहा, बेटों ने माँ से है यह कहा
बूढ़ी हो चुकी तू अब, अब तेरा यहाँ काम क्या।
जब तक मकान तेरे नाम है, तब तक तेरी शान है
जिस दिन हुआ मेरे नाम सब फिर कौन माँ और कौन बाप है।
इतना बड़ा तु हो गया कि अपनो को ही भुला दिया,
पैसों से आँखे मूंद के तुने अपनी औकात को है दिखा दिया।
मत भूल कि जो बीज तुने बोया है वही कल वृक्ष बन आएगा,
जिस तरह निभाएँ तुने रिश्ते है वैसे ही तेरा आने वाला तुझसे निभाएगा।
तु अपना होके भी अपना न रह जाएगा,
क्या होती है अहमियत रिश्तों कि तब समझ तुझे आएगा।

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