that a person can become more humble with growth.
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"आदमी से इंसान"
शिथिल से प्रवाह बन
आह से अथाह बन
शूक्ष्म से असीम बन
क्षीण से प्रवीण बन
नीरस से मौज बन
बोझ से ओझ बन
भीड़ से पृथक बन
मिथक से अथक बन
तुच्छ से अहम बन
बेरहम से मरहम बन
पीर से नीर बन
अधीर से गंभीर बन
हीन से उदार बन
निराधार से आधार बन
पन्ने से किताब बन
संताप से प्रताप बन
समस्या से निदान बन
आदमी से इंसान बन !!-
आया था इस दुनिया से अकेला आदमी
जायेगा इस दुनिया से अकेला आदमी
ताउम्र रिश्तों को, सहेजता था जो
सब छोड़ के चला अकेला आदमी
हैं अंधकार के, आँचल में सब दिये
फिर लो नयी जलाएगा अकेला आदमी
मंज़िल पे पहुंचा था, एक कारवाँ बड़ा
घर से निकला था अकेला आदमी
हो अदम्य साहस, संकल्प हो अडिग
दुनिया बदल दिखायेगा अकेला आदमी
आया था इस दुनिया से अकेला आदमी
जायेगा इस दुनिया से अकेला आदमी
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9 माह तक बिन देखे तूने मुझको प्यार किया
अपने जीवन का अनमोल वक़्त, तूने मुझपे वार दिया
ऊँगली थाम के मुझको अपने पैरों पर खड़ा किया
अपने सपनो को टाल कर कर तूने हमको बड़ा किया
हैं याद मुझको बीमारी में भी तेरा खाना बनाना माँ
मुझे हमेशा भर पेट खिला खुद भूखे रह जाना माँ
मेरी गलती पर भी मुझे पापा से तेरा बचाना माँ
तेरी गुल्लक के सिक्कों से मेरे अरमान सजाना माँ
मेरी चोट पे तेरी आँखों का सिसक सिसक के रोना
मेरी बीमारी में पट्टी बदलना सारी रात नहीं सोना
अपनी हर ज़िम्मेदारी तेरा बखूबी से निभाना माँ
तेरी जररूत टरकाने का तेरा नया बहाना माँ
करुणा प्रेम त्याग तपस्या की सुन्दर सी तु मुरत हैं माँ
तेरी आँचल की छाँव तले ज़िन्दगी बड़ी खूबसूरत हैं माँ
तेरी ममता से तूने मुझको कितना हैं मालामाल किया
धन्यवाद उस ईश्वर का जिसने मुझको तेरा लाल किया
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मेरी जगह, तेरी जगह, इसकी जगह, उसकी जगह,
उलझें हे इस फेर में, आखिर है किसकी जगह,
जब बोलते थे ये मेरी है, सब ठीक थे अपनी जगह
मालिक आते जाते रहे, जगह रही अपनी जगह
कीमत लगा खरीद ली, शहर की सारी जगह
बेघर रहा ताउम्र ना पाया जो दिल में जगह-
NRC का विरोध करने वालों इतना तो बतलादो
घुसपैठियों की पहचान कैसे हो मुझको ये समझादो
जो अब अपनों में बसें गैरों को ना छाँटोगे तुम
अपने हिस्से का हक़ क्या कल उनसे बांटोगे तुम
CAA में मुसलमान भी शामिल जो कर लोगे
क्या सब पड़ोसियों को अपने घर में भर लोगे
शरणार्थी और घुसपैठिये में पहले फर्क करना सीखो
किसके विरोध में हो तुम एक बार फिर से देखो
जो बेघर है उसे शरण देना का है कायदा
विरोध से केवल है घुसपैठियों को फायदा
अपनी समझ का दायरा इतना बड़ा करलो
धर्म से पहले अपने देश को खड़ा करलो
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चाहे पड़े घनघोर सियालो या पड़े तावड़ा की लाय
सब मनका ने चोखी लागे ऊनि ऊनि चाय
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है इम्तिहान कोई अनकहे अल्फाज़ को समझें
मैं मौन हुँ कोई मेरे जज़्बात को समझें
कहते है हर बात ज़ुबाँ से बयां नहीं होती
है दोस्त वो जो दोस्त के हालात को समझें-
अपनी कलम से सबका इस्तक़बाल करता हुँ ,
महफ़िल में सबको दिल से सलाम करता हुँ,
कम ही लिखता हु वैसे में दोस्तों आजकल,
जब भी लिखता हुँ में बस बवाल करता हुँ
सुनना मेरी बातों को जरा गौर से तुम,
इशारों इशारों में खड़े कई सवाल करता हुँ,
वैसे तो खामोश रहता हुँ में ज़्यादातर,
फिर भी महफिलों में ख़ूब धमाल करता हूँ
कोई जो पूछता हैं मुझसे क्या करते हो तुम,
मैं कुछ नहीं करता बस कमाल करता हुँ
अपनी कलम से सबका इस्तक़बाल करता हुँ ,
महफ़िल में सबको दिल से सलाम करता हुँ,
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देर हो जाती हैं अक्सर दिल की बात बताने में,
झूठ की कई परतें टूटती हैं सच को बाहर लाने में,-