एक अपरिचित.... यात्रा...? 🚶   (Anjali Nigam)
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Joined 24 July 2021


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सब जानते समझते हुये भी
इंसान बड़े शहरों को पसंद कर रहा है
वहां की आबो-हवा दूषित है
फिर भी इंसान बीमारी को निमंत्रण दे रहा है
छोटे नगर किसी को पसंद नहीं आते
स्टेटस दिखाने की होड़ में बरबाद हो रहे हैं

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आफ़ियत चाहते है सभी की
अमन-ओ-चैन की जिंदगी मिले

सजदे में सिर झुके ख़ुदा के आगे
सबको परवरदिगार की रहमत मिले

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जब भी कीमत की बात होती है
दिल मिट्टी के मोल बिक जाता है

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हथेली तो फैलाओ
सही तुम
तुमसे गुफ्तगू करने का
दिल करता है

तन्हा जिंदगी
उदासियां देती है
मेरा भी मुस्कराने का
मन करता है

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लाइन में सभी खड़े हैं
अपनी बारी का इंतजार करे हैं
वो मुड़कर भी नहीं देख रही
बेचारों के पांव जले हैं
🤗😂😂

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जो मेहनत कोई दूसरा कर रहा है
उतनी ही मेहनत खुद करके दिखाना !
हम बहुत आसानी से दूसरों की कमियां
निकालने लग जाते हैं !
कभी गहराई से सोचिये.....
क्या हममें कोई कमी नहीं है....?
किसी पर उंगली उठाना बहुत आसान है
लेकिन उससे ज्यादा आसान है....
बाकी की उंगलियों को अपनी ओर मुड़ते हुए देखना !!

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तर्क तभी अच्छे लगते हैं
जब उनमें सच्चाई हो
और कुछ निष्कर्ष
निकलता हो.....
बाकी सब तो सिर्फ
बहस के मुद्दे होते हैं

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शब्द कितनी भी
समझदारी से इस्तेमाल कीजिए
फिर भी सुनने वाला
अपनी योग्यता और मन के विचारों
के अनुसार ही
उसका मतलब समझता है !!
( सुप्रभात )
🙏🌹🌿💐🌿🌹🙏

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लगाकर ही तो गलत किया
फैसला जिंदगी का हमने गलत किया
भूल गए थे अपना कोई नहीं होता
अपनों से गम साझा करके गलत किया
चलना था जब सफ़र में अकेले ही
हाथ अपनों का थामकर हमने गलत किया

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तुमसे ना कहूं तो
किससे कहूं अपने
मन की व्यथा
सुनकर भी तो तुम
अनजान बने रहते हो
कभी दो शब्द बोलो
तसल्ली के हमसे
माना सब जानते हो
फिर भी पत्थर बने रहते हो

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