एक अपरिचित.... यात्रा...? 🚶   (Anjali Nigam)
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Joined 24 July 2021


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रिफ़ाक़त बनकर आते हैं कुछ लोग जिंदगी में
धीरे-धीरे फिर जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं !

चले जाते हैं छोड़कर फिर मौसम की तरह
यकीन ना करने का सबक जरूर दे जाते हैं !!

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कितनी मिन्नतें करूं ख़ुदा
कुछ तो मुझे भी सुकून दो !

थक गई हूं इम्तहान देते देते
कभी तो अच्छा नतीजा दो !

तुमको पता है सबके हालात
कभी मुश्किलों से निजात दो !

रख दो अपनी रहमत का हाथ
कुछ तो मेरी तरफ भी नजर करो !!

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एक फैसला लेने भर की देरी होती है
जिंदगी किसी की नही...अपनी होती है !

बहुत चल लिए उनके साथ अब तक हम
उनकी मर्जी से ऊपर अब...मेरी मर्जी होती है !

किसी के जाने से किसी को फर्क नहीं पड़ता
किसी की शख्सियत में शामिल...जिद होती है !

गुरुर इतना भी ना करे इंसान अपने ऊपर
ख़ुदा की मर्जी के आगे...किसी की नहीं चलती है !!

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झुककर शाखें कह रही थी मुझसे
उदास ना हो मुझे भी तो देखो !

मैं भी तो तन्हा और अकेली रह गयी हूँ
छोड़ गए पत्ते मुझे भी तो देखो !!

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ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए,
मेरे साथ क्या हो रहा हैं...,?

ये सोचने के बजाय,
मैं क्या कर रहा हूँ,
सोचना शुरू कर दीजिए…...!!

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सुबह की चाय और इश्क दोनों एक जैसे हैं,
हर बार वही नयापन और हर बार वही ताजगी !
दोस्ती की खुमारी है हर बात में राजदारी है ,
दोस्तों के बिना तो हरदम अधूरी लगे जिंदगी !!
( सुप्रभात )
🙏🌹🌿💐🌿🌹🙏

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क्यों दिल में खला होने से घबराते हो
क्यों नहीं खुद को अपना दोस्त बनाते हो !

कोई साथ नहीं देगा जिंदगी भर यहां
इस बात को तुम क्यों हमेशा भूल जाते हो !

जितना करीब तुम खुद के बने रहते हो
उतना ही खुद को अच्छे से पहचान पाते हो !!

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पड़ोस की बिल्ली से खूब म्याऊं म्याऊं करता है
मैं एक बार भी म्याऊं करूं तो मुंह फेर लेता है
😡😂😂

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शाम का गहरापन दिल
को मायूस कर जाता है
आती है रात तो यादों
का जखीरा करीब आ
जाता है

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उसके साथ को हमने अपने
जीने का मकसद समझा था
वो तो था एक मुसाफिर
कब एक जगह ठहरा था

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