Anju Gupta   (अnju Gupता 'मन' ✍️)
3.0k Followers · 10 Following

read more
Joined 14 December 2019


read more
Joined 14 December 2019
1 MAY AT 21:16

•मज़दूर•

सबके करीब
सबसे दूर...मजबूर... मज़दूर!

युग बीते
सदियां बीती
मगर मजदूरों के
मजबूरी की रात नही बीती
बेबसी, लाचारी भूखमरी हरदम ही जीती

कभी
प्रकृति की
बर्बरता झेली
कभी सहनी पड़ी
क्रूरता मानव की

ज़िंदगी
अभावों की गठरी
रेल के जैसे सांसों की पटरी
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
टुकड़े - टुकड़े में ज़िंदगी बटी

क्यूँ
रहा सदा मजबूर
ज़िंदा तन में मरे हुए
मन को ढोने पर मजबूर.... मज़दूर!
1/5/24

-


26 APR AT 22:02

•काव्य•

एक
नया काव्य
शीश नवा के बोला
नवसृजित
बोली में अपने
गरिमामय काव्य से
ख्वाहिशें
तलबगार होती हैं
क्या कवि के प्यार से
मुस्कराते हुए
एक पुष्प खिला
ऐसे वार्तालाप से
भाव विभोर हो कृतार्थ हो गया 'मन'
श्रद्धा से भर कवि के गरिमामय सम्मान से
26/4/24

-


25 APR AT 9:16

अक्सर
स्वयं को सर्वश्रेष्ठ
प्रमाणित करने हेतु,
हम
अपने
उन मूलभूत
गुणों को खो देते है
जिन गुणों से हम कभी श्रेष्ठ बने थे।
25/4/24

-


20 APR AT 23:20

तुम मिले तो यूँ लगा था हमें,
ज़िन्दगी अहा कितनी मीठी सी हैं।

बात सच्ची थी य़ा थी झूठी,
आज उम्मीदें सारी मगर छूटी हैं।

दुनियाँ हो गयी विरां मेरी,
खुशियां इस क़दर किसी ने लूटी हैं।

नींद आँखों से दूर जाकर बैठी कहीं,
आईंना हैं वही तस्वीर मगर टूटी है।

ज़िन्दगी से हमें कोई गिला नहीं 'मन'
अपनी किस्मत ही शायद रूठी है।
20/4/24

-


6 APR AT 13:03

•बेटियाँ•

बेटियाँ
मायके में
अपने निशाना ढूंढती है

आती हैं
जब कभी सुसराल से
खोई हुई अपनी पहचान ढूंढती है
बेटियाँ मायके में अपने निशाना ढूंढती है.........

आंगन में बिखरा
सामान सा अरमान देखती है
लोगों से भरा खाली मकान देखती है
बेटियाँ मायके में अपने निशाना ढूंढती है.........

मां-बाबा बिना
सुना ज़हांन देखती
कई टुकड़ों में बंटा घर का दालान देखती हैं
बेटियाँ मायके में अपने निशाना ढूंढती है.........

अनुशीर्ष में पढ़ें.......
6/4/24

-


3 APR AT 22:39

वक्त जाया नही करना कभी उनके लिए,
जिनके पास वक्त नहीं तुम्हारे लिए।

-


2 APR AT 21:19

•दिल से दिल का रिश्ता है •

एहसासो
को पैर नही
फिर भी चले आते है.....

बेज़ुबान
होकर भी आँखें
जाने कितना कह जाती है....

दिल के
पास कान नही
फिर भी सब सुन लेता है.....

पंख नही
होते है मन के
फिर भी उड़ता रहता है.....

दिल से
दिल का रिश्ता है 'मन'
कितना प्यारा ये रिश्ता है......
2.4.24

-


30 MAR AT 8:54

•बोध•

बोध रख, मत लोभ कर,
स्वयं में स्वयं की शोध कर।
तू कौन, क्या अस्तित्व तेरा,
अपने रूप को परोक्ष कर।

शाश्वत सत्य यह सृष्टि का,
मन से जो सृष्टि बनाएगा।
अपने किए सभी कृत्यों का,
मूल्य यही चुकाएगा।

साकार रूप एक दिन होगा,
शत-प्रतिशत व्यर्थ नही कुछ जायेगा।
हाथों की रेखाओं को कर्म,
समयानुसार मिटाए बनाएगा।

अनुशीर्ष में.....
30.3.24

-


29 MAR AT 22:48

सुनो......
प्रिय!
सारी
बातों को
कर दरकिनार
तुम लौट आना........................
जब
फुर्सत
वक्त दें यार
तुम लौट आना......................
दर्पण
पहचानने से करे इंकार
करके 'मन' का प्यार याद
तुम लौट आना................................
खोना
नहीं ख़ुद को
तुम लौट आना .......................................
सुनो...........तुम लौट आना....................
29.3.24

-


26 MAR AT 10:53

• मर्म •

शीशे
और दर्पण सम
अंतर व्यक्ति और व्यक्तित्व का,
भेद इसका समझना सार्थकता मनुज अस्तित्व का।

तन
संवारने में
मन छूट जाता है
वाह्य रूप के प्रशंसा में
अंतर्मन और भी कुरूप हो जाता है।

फुरसत
मिलती नही
आत्मावलोकन की,
दिखावे के आवरण से अस्तित्व 'मन' ढंक जाता है।
26.3.24

-


Fetching Anju Gupta Quotes