औऱ
कर्तव्य औऱ ख्वाहिश में
लड़कियों ने चुना कर्तव्य
फिर वो
संस्कार से संस्कारी पत्नी
और मन से आजीवन
प्रेमिका रह गई....-
❤मेरी मुस्कुराहट ही मेरी पहचान है❤
दीवानी मैं दीवानी
मुस्कुराहट की ... read more
और
यूं तो
दुनिया भर से लड़ने का
हौंसला रखती हुई मै...
फिर
अपने पसंदीदा शख्श की
एक डांट से मेरी
सिसकियां बन्द नही होती-
औऱ फिर कुछ यूं मलाल रहा
ताउम्र
पसंदीदा चीजे न मिलने का....
कि
पसंदीदा चीजे नापसंद हो गई
औऱ
नापसन्द चीजें फिर
पसंदीदा हो गईं उम्र भर के लिये-
औऱ फिर अपने पसंदीदा इंसान की
गलतियां माफ करते-करते
हम खुद के ही
गुनहगार हो गए-
और फिर एक दिन
हमको अहसास होता है
हम उम्र भर जिसके
लिए सोचते रहे
उसने हमारे बारे
में कभी
सोचा ही नही.…....-
और कितना दुःखद
परिवर्तन है
ये समझना कि
खुशी में तो बहुत
अपने हैं
पर
दर्द में हम "अकेले" हैं-
ओए
उससे बात हुई?
से लेकर
उससे अब बात नही होती!
तक के सफर में
दफन हैं अनगिनत सपने
ढेरो अधूरी प्रेम कहानियां
और
मुकम्मल न होने वाले
कुछ अधूरे सफर........-
और फिर जिंदगी
का दौर बदल गया
और हमको
नफरत हो गयी उजालो से
और मोहब्बत हुई अंधेरो से.....
औऱ
गूँजते ठहाके औऱ शोर से
दूर जाकर
हो गए हम
तन्हाईयो के.......
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सुनो!
आसान था खुद को चुन लेना
खुद के लिए जी लेना
पर हम नही चुन पाए खुद को
हमने चुना
फर्ज जिम्मेदारी कर्तव्य
उचित अनुचित के मापदंड
पर खरे उतरते हुए
हम खुद को
भूल गए औऱ
हमने खो दिया
अपना
""""अस्तित्व""""-
सबके हिस्से
सब कुछ नही
आया
पर हाँ
इक"कसक"आयी
सबके हिस्से
जिसके लिए
आंखे
अश्कों से भरी रही
ताउम्र ......
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