तमाम कोशिशों के बावजूद मैं हार नहीं मानूंगी
मैंने तो बस तुमको चाहा है, तुमको ही चाहूंगी
तमाम कोशिशों के बावजूद मैं हार नहीं मानूंगी
ऐ मंज़िल तू कितना दूर जायेगी, जाकर देख ले
चाहती है तू तड़पाना ठीक है, तड़पाकर देख ले
मैं तड़प जाऊंगी हां कभी कभी रो भी दूंगी मगर
तेरा पीछा छोड़ दूं, ऐसी कोई शाम नहीं देखूंगी
तमाम कोशिशों के बावजूद मैं हार नहीं मानूंगी
-