आज फिर दुखने लगी आंखें
सुनो तुम लौट आओ ना
मेरे होंठों की मुस्कुराहट
अपने चेहरे पर लेकर-
न मीर, गालिब की मोहब्बत, न अंजुम, विश्वास की समीक्षा हूं मैं
किसी की ... read more
जब रिश्तेदार पूछते हैं- बेटा जो एग्जाम दिया था उसके रिज़ल्ट का क्या हुआ??
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💙गज़ल💙
हुई आशिकों की जुदाई न होती
तो रंगीन सब रोशनाई न होती
सभी फ़ायदे खेल के जानती वो
जो बचपन में उसकी विदाई न होती
न ये इश्क़ होता न होती खताएं
उन्हें देख गर मुस्कुराई न होती
जहां में कोई चांद क़िस्सा न होता
जो माथे पे बिंदी सजाई न होती
भटकता या होता यहां ख़ाक आदम
ख़ुदा ने करी रहनुमाई न होती-
हिन्दी संस्कृति - सभी समान हैं सबको (भाषाएं) अपना समझे भेदभाव न करें
हिन्दी प्रेमी (वर्तमान समय में जब अंग्रेजी सर चढ़ चुकी है) - 👇👇-
एक शेर यूं हुआ -
मिले ज़ख्मों से दिल उभरा नहीं है
धड़कता है मगर, ज़िन्दा नहीं है
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एक शेर यूं हुआ -
लौट चलें आओ अब उस दौर में यारों,
रख कॉपी में फूल सनम को तार लिखें
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तुम्हारी याद आती है
दिखे जब भी कपल कोई तुम्हारी याद आती है
इशारे देख नज़रों के तुम्हारी याद आती है
बुलेट के हो गए हम हैं तो दीवाने सनम लेकिन
अपाचे देख लूं जब भी तुम्हारी याद आती है
अपन को देख शीशे में तुम्हारी याद आती है
हथेली पर सजे मेहंदी तुम्हारी याद आती है
सुनूं जब हीर रांझा तो नहीं आती मगर जानम
पढ़ूं चन्दर को जब भी मैं तुम्हारी याद आती है
उगे सूरज दिखे चंदा तुम्हारी याद आती है
हो दिन रातें या हो संध्या तुम्हारी याद आती है
'मनू' चाहे अगर जो भूलना तुमको मेरे हमदम
पके गाजर का हलवा तो तुम्हारी याद आती है-
ये घण्टियों की ध्वनियां, ये शंखो का अनुनाद
स्वस्थ रखना खुदा सबको, जो कर रहे हैं साद
डाल रहे जोख़िम में जान, दिल से है धन्यवाद
रोक कर रास्ता सबका, कर रहे हैं भलाई आप
करें दुवा उनके लिए अब ना करें कोई प्रतिवाद
ये घण्टियों की ध्वनियां, ये शंखों का अनुनाद
सबके दिलों की अनहद, ये तालियों की नाद
जैसे खिल रहीं हैं कलियां कर रही मधुर वाद
देख एकता, चांदनी सजाने को आतुर है चांद
ये घण्टियों की ध्वनियां, ये शंखों का अनुनाद
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मुहब्बत में ना अपना हाल बेहाल इस क़दर होता
कभी भी जो हमें दीदार उनका इक नज़र होता-