मेरे इश्क वाली चूड़ी धरी की धरी रह गई
कोई सोने की चूड़ी देकर मुझे लें जा रहा है
सुनो
मेरी शादी का दिन नजदीक आ रहा है
कोई गैर मेरी मांग भर कर मुझे लें जा रहा है
अब कोई सरकारी नौकरी लेकर
मुझे खरीदने आ रहा है
तुम सम्भाल लोगे क्या खुद को
मेरे हाथों में महेंदी देख कर
एक ख्वाहिश थी तुमसे
मेरे मांग के सिंदुर को मुक्कमल कर जाने की
अब कोई और झुमके ओर पायल दे जा रहा है
कैसे पकड़ेगा हाथ वह मेरा
जबकि मेरे हथेलियों को तो तेरी आदत सी है
मुहब्बत किसी की हो न सकी
कोई मंजिल मुझे बनाने जा रहा है
जिस जिस्म को सिर्फ तुने छुआ था
अब वो किसी और का होने जा रहा है
कोई मुझे सोने की चुड़ी देकर लें जा रहा है
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Then be fine without them too.✌️
निकल रहा था सब हाथ से
फिर भी उम्मीद लगाए बैठी थी
अब हकीकत नहीं सम्भल रहीं
और ना जाने कितने सपने संजोए बैठी थी
मुश्किल है खुद से नज़रे मिलाना
तुम्हें जो आंखो में सजाएं बैठी थी
खो गया है सब कुछ सफर में
और मैं तुम्हें मंजिल बनाएं बैठी थी-
सुनो
मेरी भी एक ख्वाहिश है कबीर
हमारी चाहत को भी
मेरी मांग के सिंन्दुर तक
मुक्कमल कर जाना-
निंद खुद उड़ ही जाती है आंखों से
जब जूनून सर पर सपने देखने का नहीं
बल्कि उन्हें पूरा करने का सवार हो-
मां आ गई.. में फोन रखतीं हूं
से शुरू कर
अच्छा मां में फोन रखतीं हूं वो आ गये...
तक का सफर तय करना था आपके साथ-
कृष्ण ने कहा है
बुरा लग जाए ऐसा सत्य ज़रूर बोल दो
लेकिन सत्य लगें ऐसा झूठ कभी मत बोलो
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चीख से भर गया कल रात एक ओर कमरा
शायद किसी की मोहब्बत में
कोई जीते जी मर गया है-
ख़त में भेजा है
मेरी महोब्बत ने यह सवाल
कि केसे जीयोगे मेरे बाद तुम
अब मेरा दिल इजाजत नहीं देता
तुम्हें याद कर के रोने की
तों बस शराब पीते हैं तेरी याद में हम
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