Deepti Khanna   (deepti)
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Joined 16 June 2019


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24 APR AT 23:43


की कांच से रेत की तरह बिखरने की गुंजाइश होती है ,
की उसी रेत से फिर आग की भट्टी में कांच सा बनने की उम्मीद भी रहती है ,

की टूटे हुए दिल से दोबारा जुड़ने की आस रहती है ,
और अगर जुड़े ना तो फिर कभी किसी और का दिल न टूटे यही उसके जिंदगी की चाहत बनती है— % &— % &

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23 APR AT 21:58



वो समुद्र ही क्या जिसमें लहरे ना हो ,
वो जिंदगी ही क्या जिसमें उतार-चढ़ाव ना हो

की गम से बेहाल हर बार सबर ही क्यों हो ,
की सवारने में वक्त लगता है
इसलिए सबर तुम चढ़ती कला की नाव हो तुम

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10 APR AT 21:37

एक सूत्र का भी फर्क नहीं होता
पान के हर पत्ते का माप एक ही होता
सबक जैसा भी हो कुछ ना कुछ सीखा के है जाता,
मिठाई से ज्यादा करेले का रस लाभदायक है होता



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19 MAR AT 23:52


कभी कम सा कभी ज्यादा सा ,नमक हल्दी सा लगता है
दर्द अपने हिसाब से नहीं औरों के हिसाब से जिंदगी डाला जाता रहता है

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14 MAR AT 19:12

Profit तेरा ही है और loss मेरा है
अगर ख्वाब पूरा हो गया तो
नाम तेरा ही है नहीं तो बदनामी मेरी है

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11 MAR AT 22:17



चांद से ज्यादा सब में चांदनी रातों को देखने की चाहत होती है
शोर से ज्यादा सुकून पहुंचने वाली आवाजों मे सब की रुचि होती है
लुभावनी महक को सूंघने से ज्यादा
उस आलम को महकाने वाले के दीदार की चाहत सब में होती है
दरारे डालने वाले से ज्यादा दरारे भरने वालों की लोगों के दिल में इज्जत होती है
Deepti




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6 MAR AT 19:58




की लगता है लगाव है तुमको उससे इसलिए मुंह फेर के बैठे हो,
की कही वो तुम्हारे दिल में ना झांक ले इसलिए दूरियां बनाकर बैठे हो

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28 FEB AT 20:54




किसी मिठाई पर चांदी की वर्क लगने से उसके स्वाद पर फर्क नहीं पड़ता
धोबी के लांछन लगाने पर सीता के चरित्र पर दाग नहीं लगता

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24 FEB AT 20:15


कल जो था आज भी वैसा ही खड़ा वहीं है,
अलबत्ता उसे देखने का नजरिया भी बदला नहीं है

लगाव था जो उससे ,आज उसमें बढ़ोतरी हुई है ,
की इंतना है उससे प्यार की आज ख्वाब में भी पेकी गली दिखाई दी है

किमख्वाब सी नायाब यादें पेको की जहन में जिंदा कहीं है,
इसलिए चांदी सी जुल्फो का ताज पहने के बाद भी हर औरत पेके तुड़ी है

Deepti







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14 FEB AT 21:50

की तुम अपने लफ्जों की महक छोड़ना
सबके जहन में कुछ उस तरह

जैसे साबुन अपनी महक छोड़ जाता है जिस्म में
मलने के बाद

कि जब भी किसी महफ़िल में कोई कहे इरशाद
वहां खड़ा हर कदर दान सोचे की ये है आप

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