Deepti Khanna   (deepti)
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Joined 16 June 2019


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Joined 16 June 2019
14 JUN AT 16:46


"मैं" का कोई भाव नहीं, बस "देश" है उनका परिचय,
कर्तव्य ही है उनकी पूजा, राष्ट्रहित ही है परम लक्ष्य।

कर्तव्य परायण होकर भी, वो अपना कुछ नहीं जताता है,
अपनी सेवा से देश को सुचारू चला , श्रेय कभी नहीं मांगता है।

तिरंगा हवा से नहीं, उनकी वीरता से लहराता है,
देश की अमन शांति की नींव वही बनाता है।

ना अपनी थकान का जिक्र, ना अपने दर्द का कोई परिचय देते है ,
वह हर चुनौती को सीने से लगा ! उसे अपनी सच्ची कमाई बताता है ।

वो न मांगता है धन्यवाद, न चाहता कोई अभिनंदन,
हर साँस में बसता है उसके देशभक्ति का चंदन।

ऐसा वीर पुरुष, जो "मै " को भूलकर मातृभूमि को अपना परिचय बताते हैं
तूफ़ां में दीप जला - हर दिल में जगह बनाते हैं ।
Deepti





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13 JUN AT 17:21

बहुत महंगे हुए बाज़ार में लम्हों के दाम,
मगर मिट्टी से सने पल ही अच्छे लगते हैं।

वो पेड़ों से नीचे गिरे हुए आम आज भी,
खरीदे हुए से ज़्यादा रसीले लगते हैं।

जो पेड़ गुज़रे हैं खामोशी से हर मौसम से,
वही घने प्राचीन वृक्ष ,सच्चे लगते

सादगी बाकी है इस दुनिया में कहीं
इसलिए पेड़ के नीचे गिरे हुए आम आज भी रसीले लगते हैं

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13 JUN AT 13:13

बहुत महंगे हुए बाज़ार में लम्हों के दाम,
मगर मिट्टी से सने पल ही अच्छे लगते हैं।

वो पेड़ों से नीचे गिरे हुए आम आज भी,
खरीदे हुए से ज़्यादा रसीले लगते हैं।

जो गुज़रे हैं खामोशी से हर मौसम में,
वो पेड़ ही सबसे घने और सच्चे लगते हैं।

तकाजा तो ढलती उम्र का है
नहीं तो शाम-ए-हयात मे भी सेहर दस्तक देती है

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11 JUN AT 22:02



मुड़ के ना देखा पंछी ने घोंसला छोड़ने के बाद,
दिल से निकली ना तेरी याद, तेरे जाने के बाद।

रूह में अब भी बसी है तेरी हर एक सदा,
ख़ुद को पाया ही नहीं हमने, तुझे खोने के बाद।

रात भर जागते हैं बस चाँदनी के सहारे,
नींद भी रूठ गई है, तेरे चले जाने के बाद।

जिसे चाहा था हमने रब की इबादत की तरह,
अब वही नाम बस सिसकियों में ढलता है हर बात के बाद।

लफ़्ज़ भी थम गए हैं तुझे आवाज़ देने में,
थम गई है ज़िंदगी, तुझसे बिछड़ने के बाद।

अब कोई आहट दिल को बहला नहीं पाती,
ख़ाली लगता है जीवन, तुझे महसूस करने के बाद।

माँ की ममता भी जैसे इक अफ़साना बन गई,
जिसे तू भूला रहा, उम्र भर चाहने के बाद।

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11 JUN AT 18:17

जिन्हें कभी व्यर्थ समझ कर जीवन से निकाल दिया,
आज वही रूप बदलकर नज़रों में छा गए हैं।

बीज जो तुमने तरबूज से निकाल कर फेंक दिए थे,
आज मगज़ बनकर पकवानों को शाही बना गए हैं।

कल की धूल आज किसी का श्रृंगार बन गई,
जो चीज़ें ठुकराईं थीं, वही अब उपहार बन गईं।

क़दर न की थी वक़्त रहते जिनकी कभी,
आज वही आकर मुक़द्दर सँवार गए हैं अभी।

फूटी तक़दीर समझ कर जिन्हें तुमने छोड़ दिया,
आज वही तुम्हारी किस्मत संवार रहे हैं ।

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5 JUN AT 17:27

चाशनी के बगैर रसगुल्ले की कोई अहमियत नहीं,
दुआओं के बगैर जिंदगी की कोई नेमत नहीं।

लबों पे रहे मुस्कान, दिल में रहे सुकून,
वरना दौलत के ढेर की भी कोई कीमत नहीं।

जो बांटते हैं प्यार, वही अमीर होते हैं,
वरना खुदगर्जी में उलझी जिंदगी जन्नत नहीं।

माल-मिलकियत से नहीं होती दिलों की रौशनी,
किसी की दुआ लग जाए — उससे बेहतर कोई दौलत नहीं।

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31 MAY AT 21:54

व्याकुल जीवन सोच में डूबा कि वो कैसे सांस ले
ना छाँव बची, ना हवा शुद्ध - बस धुआ धुआ देखें

वृक्ष ही जीवन है, ये हम सत्य भूल बैठे हैं
लालच में, हम अपनी जड़ें ही काट बैठे हैं।

हर खिड़की के बाहर concrete का जंगल दिखे
धरती की साँसें इन इमारतों ने ही दबा दी

बारिश अब रूठी सी लगे, नदियाँ भी थकी थकी
अब भी समय है जाग जाओ , नहीं तो आफत सामने खड़ी

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30 MAY AT 12:20

अगर मन में कोई धुन सवार हो, तो उसे गुनगुना लेना चाहिए,
ज़िंदगी की हर ख़ुशी को खुल के जी लेना चाहिए।

अगर लफ़्ज़ हों याद, तो गीत बना लेना चाहिए,
हर एहसास को दिल से सजा लेना चाहिए।

अगर कदम थिरकें, तो थाप पर झूम जाना चाहिए,
हर जीत की ख़ुशी में खुद को भूल जाना चाहिए।

अगर दिल में कोई तमन्ना हो, तो उसे पूरा कर लेना चाहिए,
क्योंकि ये ज़िंदगी है जनाब, हर पल को जी लेना चाहिए।

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24 MAY AT 20:56

करवट भी ना ली
पलके भी ना झुकाई
हमने अपने घर की पहरेदारी कर
सारी रात आसमान के नीचे बिताई

चर्चा की वह चार रातों में बस एक ही बात सताई ,
जवानो ने तो कितनी रातें हमरी सुरक्षा मे गवाई

हमने घर की सुरक्षा में 96 घंटे नींद ना आई वीर सैनिकों का सोचो जिन्होंने मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपने घर की सुरक्षा न याद आई

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24 MAY AT 1:39

ज़िंदगी हमारे साथ मज़ाक कर जाती है,
और हम इसी ख़ुशी मे कुछ लिख जाते है
हम शायरी, अपना दर्द भुलाने के लिए लिख जाते हैं।
और दुनिया उसे अपना दर्द समझकर वाह-वाह कह जाती है।


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