बारीकी भी बाकमाल है उनकी
हंसते हुए गर आंसू आ
जाये तो...गम के हैं
तुरंत पहचान लेतीं हैं।-
तुम्हें अपने हाल बताने में भी डर लगता है ।
क्या पता कब मैं कोई बारीकी भूल जाऊं,
और तुम मेरा झूठ पकड़ लो ।-
हर क्षण का हिसाब बारीकी से रखना पड़ता है,
ये ज़िन्दगी है जनाब,यहाँ हर स्वाद चखना पड़ता है!-
तकलीफ़ें उनकी बन गयी
मेरी जीने की वजह,
इतनी बारीकी से बर्बादी का
कुछ तो तोहफ़ा मिला।।-
खूब बारीकी से मुझे समझा होगा उसने
तब मुझे बरबाद करने का तरीका निकाला होगा उसने-
वाकिफ़ हुए ग़ज़ल की जो बारीकियों से हम
कहने लगे हैं बह्र में आसानियों से हम 1
रोता है कोई रात को दीवार से लगा
सुनकर परेशाँ होते हैं उन सिसकियों से हम 2
तन्हा हुए तो चाँद सितारों से बात की
घण्टों खड़े रहे हैं लगे खिड़कियों से हम 3
जब जब करीब आए मुसीबत गले पड़ी
डरते रहे हैं आपकी नज़दीकियों से हम 4
वो भूलने के वास्ते ही याद करता है
डरते हैं रोज आती हुई हिचकियों से हम 5
ग़ज़लें हुजूर आपकी होती हैं बा-अदब
महफ़िल में कह रहे हैं यही साथियों से हम 6
बेरंग ज़िन्दगी में हमें भरने हैं "रिया"
कुछ रंग माँग लेंगे नए तितलियों से हम 5-
भूलजाती हूं पिछली रात की पढ़ाई सुबह की इंतहान के बाद,
पर ना जाने क्यों तुम याद हो इतनी अरसे बाद
इतनी बारीकी से.....-
तुम्हारे इंतजार में हूं
तुम जो हर विषय को बारीकी से जानना चाहते हो,
कहां-कहां से नहीं बटोरते ज्ञान
किताबें, डिस्कशन, बुजुर्गों का अनुभव
और सर्च इंजन
क्या क्या नहीं खगालते,
फिर मैं सोचती
जब तुम्हें इश्क होगा मुझसे
तो क्या करोगे?
कहां जाओगे?
किताबें और अनुभव मददगार नहीं होंगे,
वो तुम्हें अहसास नहीं दे पाएंगे,
गूगल तुम्हे इंतजार की तड़प नहीं बताएगा
तब तुम सारे सवाल लेकर मेरे पास आना,
तुम्हारे हर सवाल का
जवाब बनने के इंतजार में हूं..
खुशबू_किरण_ पाटीदार
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बड़ी बारीकी से देखी दुनिया, बारीकी नज़र न आई,
उलझा रहा बारीकियों मे, खुद की भी समझ न आई।-
अदीब नहीं हूँ इतना के इश्क़ को बारीकी से परख सकूँ
बस आवाज़ह में रहना चाहता हूँ
तो लिख लेता हूँ ।।-