Sakshi Mona   (सुनो स्याही✍️)
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Joined 13 November 2017


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Joined 13 November 2017
19 MAR 2021 AT 22:04

बीच का बदलाव अक़्सर,
बीच में बदलाव का कारण बनता है।

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14 FEB 2021 AT 9:47

माना की इश्क़ एक दिन का मोहताज नहीं,
मगर इस एक दिन को इश्क़ के हवाले करना भी तो
कोई गुनाह नहीं।

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20 JAN 2021 AT 22:29

सालों का रिश्ता महीनों में वो गिनता है,
मेरे टूटे हुए ख़्वाब को चंद मिनटों में वो बिंधता है,
सवाल ये है कि इन अवधि में फासला क्यों है,
वो गलतियों के बाद उन वक़्त को नहीं गिनता है।

हम दिल लगाकर दिमाग़ से कच्चे हो गए,
उनको लगा हम सोच से बच्चे हो गए,
मेरे भीतर के कोलाहल की उसे कहां चिंता है,
सालों का रिश्ता महीनों में वो गिनता है।

अब बदल गया है,ऐसा वो मुझसे कहता है,
ये दिल भी न,उसकी बातों में आता रहता है,
एक सिरा चोट खाकर भी भला कैसे ज़िन्दा है,
सालों का रिश्ता वो महीनों में गिनता है।

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20 JAN 2021 AT 21:21

अजीब सी विडंबना है,

तुमसे प्यार और नफ़रत,दोनों ही बेपनाह है।

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14 NOV 2020 AT 12:55

मिट्टी के आकार को स्वीकार कीजिए,
कुछ इस तरह दिवाली साकार कीजिए।


शुभ दीपावली

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15 SEP 2020 AT 3:10

कड़वाहट पुराने रिश्तों की,
नई मिठास फीकी कर देती है।

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11 AUG 2020 AT 1:00

एक हां है,एक ना है,
जो साथ थे,अब कहां हैं।

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30 JUL 2020 AT 23:46

वक़्त के ज़ख्म हैं,
ज़ख्म बेवक्त हैं।

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6 MAR 2018 AT 9:26

हम ग़ुमान भी उस कागज़ की दौलत पर करते हैं
जो क्षण भर में जल भी सकता है और गल भी।

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24 FEB 2018 AT 1:41

हर क्षण का हिसाब बारीकी से रखना पड़ता है,
ये ज़िन्दगी है जनाब,यहाँ हर स्वाद चखना पड़ता है!

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