मै ...
तुम्हारी..
दी हुई ..उस
ख़ामोशी की
पायल पहन ....
हर रोज़
नाचती हूँ ....
..
..
जिसमें अपने ...
बातों के
घुँघरू डालना ...
भूल गए हो....
तुम !
©LightSoul-
सुनो ...
मैंने अपने वक़्त की
एक पतंग बनाई है ...
..
अपने बातों के माँझे से
काट सकते हो क्या इसे .. तुम!
©LightSoul-
दीवारें बोल सकतीं
तो कहतीं
रक़ीब मानकर
जिनकी करते हो बुत परस्ती
उस मोहब्बत के लिए
वो रहीं उम्र भर सिसकती.-
खासा वक़्त बिताया जानने में मैंने, कि ऐसी हूँ नही मैं,
परिचय में मेरे फिर भी मैं सुनाती रही कुछ सुनी बातें ।।-
Use करती हो तुम hashtags मुझसे बातें करने के लिए
और मैं तुम्हें पूरा का पूरा , शब्द-शब्द लिखता हूं ,
डरती किस बात से हो तुम जाना
तुम्हें खोने से तो मैं भी डरता हूं |
हां हैं ये मसला पारिवारिक
जिसमें शामिल हैं तुम्हारे वालिद ,
उनकी इज्ज़त को हर हाल में तुम्हें बचाना हैं
पर कुछ वादें तो तुमने मुझसे भी किये हैं जाना
उन्हें भी तो तुम्हें निभाना हैं |
-
खुदको खाली कर तेरी तन्हाई भरनी है
इस तरह कलम सा इश्क़ करना है मुझे
तुम घाव से क्यों डरते हो हमदम
खंजरों के शहर में मरहम सा बिकना है मुझे
ऐसे आधा तोड़ के मुझे घबरा मत
तेरे इश्क़ में अभी राख बनना है मुझे
सिर्फ अश्क बहाना इस दर्द की हद नहीं
सैकड़ों रातों का पहरेदार बनना है मुझे
मुनासिब है तुम नजरें चुरा के भाग जाओ
वरना मेरी वफाओं का और कर्जदार बनना है तुझे-
तेरी-मेरी बातेँ,
सर्द हवाएँ,
धूप सुनहली..
तपिश बढ़ी सूरज की,
मौसम बदला,
ऋतुएँ बदली..
और बातेँ अधूरी छूट गई।
अब जो करवट ली है
फिर मौसम ने,
लगता है फिर
बरसात होगी..
अबकी जो होगी बात
तो वो बात भी होगी।-
आजकल वो हमारी बातों का मतलब ना समझते हैं ना समझने की कोशिश करते हैं।
लगता हैं जैसे हमसे जुड़ा हुआ उनका
मतलब अब पूरा हो गया हैं।-
सुकून मिलता है,
उस इंसान से बातें करके,,,
जो अजनबी तो है,
फिर भी दिल के करीब है...-