Punit Pandey   (पुनीत_पाण्डेय)
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Joined 20 June 2019


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1 OCT 2022 AT 20:07

परिंदो की उड़ान हवा की मोहताज़ नहीं होती, हवाओं की तो फितरत है रुख़ बदलना।

सफ़र लम्बा हो लेकिन मंजिल जरूर आएगी,
हमने सीखा है लड़खड़ाना और लड़खड़ा के सम्भलना।

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24 MAR 2022 AT 19:01

लगा है हुजूम एक आशिक के गली मे,
ये कैसी फुस-फुसाहट है,
ये क्या ताका-झांकी है।

कहते हैं लोग थोड़ा सबर करो,
अभी तो बस आँखें लड़ी है,
तबाही का मंजर अभी बाकी है।

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11 DEC 2021 AT 18:04

कितनी दबी थी बातें जज्बातों तले,
लेकिन कुछ कहा ही नहीं...
मोम सा दिल मेरा पिघला तो सही,
लेकिन कमबख्त बहा ही नही...

एक जदोजहद सी उठी भीतर ही भीतर
तेरे जाने के बाद..
तेरा चेहरा, तेरी जुल्फें, तेरी ऑंखें
सिहरा जातीं मुझे बन-बन के याद..

मुझे लगा कि बस चन्द लम्हों की बात है,
लगाना चाहा दिल कंही और,
और लगा ही नहीं...
कितनी दबी थी बातें जज्बातों तले,
लेकिन कुछ कहा ही नहीं...

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8 OCT 2021 AT 16:34

सुनो, चाँद को उसकी जगह दिखानी होगी,
बस तुम्हें माथे पर एक बिंदिया लगानी होगी।

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12 AUG 2021 AT 19:27

मैं प्रेम की परिभाषा तो नही जानता,
लेकिन इतना जानता हूँ..
कि कितनी मुश्किल है बिछड़न,
दो हथेलियाँ जब हौले-हौले विपरीत दिशा में अलग होती हैं,
भौंहे झुकतीं हैं और
होंठ थरथराते हैं,
साँसे मध्म और
और धड़कनें तेज हो जाती हैं।
आँखों से जो पानी बहता है,
वो प्रेम-प्रेम ही कहता है।

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11 JUL 2021 AT 18:22

उसने पूछा,
है कितना सुहाना मौसम,
क्या आती मेरी याद नही...
मैने कहा,
मेरा दिल धड़कनें लेता तेरे नाम की,
तेरी याद किसी मौसम की मोहताज़ नही!

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7 JUL 2021 AT 17:08

यूँ बखूबी उसे इश्क़ मयस्सर करना आता है,
कि आँखों से आँखों में उतर के,
उसे दिल मे घर करना आता है।

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4 JUL 2021 AT 14:34

......

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15 JUN 2021 AT 17:30

तेरी-मेरी बातेँ,
सर्द हवाएँ,
धूप सुनहली..
तपिश बढ़ी सूरज की,
मौसम बदला,
ऋतुएँ बदली..
और बातेँ अधूरी छूट गई।

अब जो करवट ली है
फिर मौसम ने,
लगता है फिर
बरसात होगी..
अबकी जो होगी बात
तो वो बात भी होगी।

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5 JUN 2021 AT 19:02

जाने कितने मसनद बदले मैंने,
ना रेशम काम आए,
ना मखमल काम आया!

एक पल को जो तेरी गोद मे सोया,
तो अरसे बाद ली साँसे सुकून की,
दिल को बड़ा आराम आया!

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