रिश्ते मर चुके हैं सभी , रिश्तेदारियाँ अभी बाकी हैं
हिस्से हो चुके घर के , हिस्सेदारियाँ अभी बाकी हैं
अपने भी बेगाने किए अब पास बचा क्या है मेरे
जी भरा नहीं जमाने कि तेरी ये मक्कारियाँ अब भी बाकी हैं
बड़ा परिवार था मेरा , सिमटकर हो गया छोटा
मगर घर के इस कोने में , वो यादगारियाँ अभी बाकी हैं
जूझता मैं मुश्किलों से , बिखरकर फिर जुड़ रहा हूँ
इंतहा हो रही सब्र की मगर दुश्वारियाँ अब भी बाकी हैं
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इंतज़ार बाकी हैं, इज़हार बाकी हैं,
इकरार बाकी हैं, ऐतबार बाकी हैं....
लौट तो आओ ज़रा सा मेरे दिल मे,
देखो तुम्हारे लिए मेरा, प्यार बाकी हैं...!-
अब भी उसे मेरा इंतज़ार बाकी हैं
मैं खफ़ा तो हो गई, पर
मेरा इनकार अब भी बाकी हैं-
बस ख़ुशी दूर हैं
चेहरे पर मुस्कान अब भी बाकी हैं
*
उदासी छाई हुई हैं
पर खुशियों की चाभी अब भी बाकी हैं
*
एक चुभन हैं अंदर
पर सुकूँ अब भी बाकी हैं
*
बस बातें ही तो नहीं होती
पर दिल में दोस्ती अब भी बाकी हैं
*
हाँ साथ अपना अब भी बाकी हैं
एक आस अब भी बाकी हैं
(नूर-ए-ज़ोया🍁)-
कैसे कह दू
जल बुझे सब ख्याब मेरे...
अभी तो ख्याबों की कली का,
खिलना बाक़ी है,
ख्याबों की महक का,
चहकना बाक़ी है,
कैसे कह दू जल बुझे सब ख्याब मेरे..
माँ के आशाओं को साकार करना है,
पापा के ख्याब को मुक्कमल करना है,
ख़ुद से ख़ुद की पहचान करनी है,
अपनों की हसीं हर लम्हात करनी है,
कैसे कह दू जल बुझे सब ख्याब मेरे....
आसमाँ और ज़मी का मिलन बाक़ी है,
धरा पे खुशियों की फुहार बाक़ी है,
अभी तो आँखों में नमी बाक़ी है,
जिंदगी में कई बहार बाक़ी है,
कैसे कह दू जल बुझे सब ख्याब मेरे...
रूह का रूह से मिलन बाक़ी है,
इजाज़त ही ली है,
अभी तो इबादत बाक़ी है,
कैसे कह दू जल बुझे सब ख्याब मेरे..
अभी तो ख़ुदा का इम्तिहान बाक़ी है.......
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किंतु उड़ने का इशारा बाकी हैं
ये प्रकाश हमारा हैं
किंतु प्रज्वलित होना बाकी हैं
ये सारा जहा हमारा हैं
किंतु सबको अपना बनाना बाकी हैं
- ??? Question Mark
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अभी तो खुद से पेहचान बाकी है।
रास्तो कि तलाश में,तोड़ा सा भटकना बाकी है।
अंधेरो में जुगनू सा बनना बाकी है।
अब जब गिर तो चुका हूँ मै।
बस अब यहाँ से उठकर चलना बाकी हैं।-
अनजाने रिश्तों का मिलन अभी बाकी है
लगी हुई मेंहदी का रंग लाल सुर्ख होना अभी बाकी है,
किए थे जो वादे
उनका हकीकत से वाकिफ होना अभी बाकी है,
क्या हुआ
जो पूरे न हुए सपने अपने
तेरे नाम पे गजलों का लिखना अभी बाकी है,
चले गए जो थे अपने
अभी तो गैरों से ठोकरों खाना अभी बाकी है,
और
जिंदगी की सच्चाई में छिपी है गहराईयां कई
अभी तो उनसे परदा हटना अभी बाकी है ,
सुना है
दुनिया के उस कोने पे मिलते है बिछड़े आशिक कई
मुझको वही पर तेरा होना अभी बाकी है ,
ये लोग न समझेंगे शायरी को मेरी
मेरी बेजान सी शायरी का यहीं अंत काफी है ।-
इंसानो की ख़्वाईसे कभी-कभी इतनी बड़ी होती है...
सपने इसलिए हक़ीकत नही बनती कभी-कभी...
दुआओं में पाते ही अगर हम सब कुछ तो...
आज चाँद सितारों में नही होती...-
पांव रखा है अभी तो पहला पहला,
दौड़ लगानी अभी बाकी है।
चट्टानों पर चढ़ने का आनंद कैसा,
पहाड़ चढ़ना अभी बाकी है।
तालाब में तैरना शुरू किया है मगर,
समंदर को पार करना अभी बाकी है।
मुश्किलों को रोका था ममता भरे हाथों ने,
अब तो अकेले ही भवंडारों से सामना बाकी है।
बहुत हुआ हंसी मजाक जिंदगी में,
अभी संघर्षों से जूझना बाकी है।
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