vishal meena   (वरुणपाश)
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Joined 24 July 2018


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Joined 24 July 2018
29 MAY 2024 AT 0:39

यौवन की धूप ढल रही है , उदास ना हो
इस शाम के तजुर्बे भी ज़रूरी हैं ,ज़िन्दगी के लिए

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22 MAY 2024 AT 6:56

दिल से बंधी इक डोर
जिसे ना पाया कोई तोड़
एक तेरे पास है और मेरे पास इक छोर
तू लाख छिपाले दर्द तेरे,
मैं लाख छिपाऊँ अपना ग़म
इकदूजे को खूब जानता अपना पोर पोर

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13 MAR 2024 AT 21:18

देखा जबसे चितचोर
सूझे ना कोई ठौर
बाँधी प्रेम की डोर
चला दिल तेरी ओर

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13 MAR 2024 AT 21:09

क्या होता अगर तुम ना होती
दिन बंजारा होता रातें बैरागी होतीं

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7 MAR 2024 AT 13:17

हार है तो हार के बाद ,जीत का ही हार है
स्वीकार है दिल से हमें ये ज़िन्दगी उपहार है.

देने वाले ,फूल-काँटे ,सब तेरे हमको कबूल
गिनते नहीं, जो भी मिली, हरेक साँस से प्यार है.

है अनिश्चित ज़िन्दगी और मरण शाश्वत है, पता है
मज़ा, अनिश्चितता में ही आता मग़र हर बार है.

तूने भेजा इस जहाँ में तो जी रहे हैं बा-मज़ा
एक रोज़ बुला ही लेगा तू,एतबार है...इंतजार है.

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23 FEB 2024 AT 17:56

ख़ता भी पता है,तुम्हारी
रजा भी जानते हैं हम
बस ज़ाहिर ना कर पाए
ये ख़ता अपनी मानते हैं हम

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23 FEB 2024 AT 17:42

अब जो बदले तो क्या बदले कि
जब दिल ख़ाक हो चुका है
अब जो मुख़ातिब भी हुए तो
बड़ी बेदिली से मिलना होगा

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23 FEB 2024 AT 17:35

दर्द,दुआएँ,आँसू,ख़ुशियाँ,जो लेना हो ले लो जी
खेलो मुझसे जितना चाहो,दिल से पर मत खेलो जी

तूफानो से कश्ती को ले लो,भूकम्प में उजड़ी बस्ती ले लो
चिंताएँ सब मुझपर छोड़ो,तुम तो मेरी मस्ती ले लो
छोड़ दिया मैंने 'मैं' मेरा, हस्ती मेरी ले लो जी
खेलो मुझसे जितना चाहो,दिल से पर मत खेलो जी

यही बहुत अच्छा अपनापा,मिले तो हो गई राम राम भी
भागदौड़,आपाधापी में मुश्किल ही पड़े मुझसे काम भी
निस्वार्थ मिलें तो भी मुस्काएँ, स्वार्थ ये मेरा ले लो जी
खेलो मुझसे जितना चाहो,दिल से पर मत खेलो जी

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20 FEB 2024 AT 21:10

चंचल मन
तेरी भटकन में
कटा जीवन

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20 FEB 2024 AT 21:01

इश्क़ की आदत यूँ लगी कि बस खोए खोए रहते हैं
मजनूँ,दीवाना,आवारा सब लोग हमको कहते हैं
दुनियावी बातों से अब मतलब हमको रहा ना कुछ
इश्क़ की मय के नशे में हरसूँ गाफिल ही रहते हैं

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