अपमान सहे और
मौन रही
तो बहु तुम्हारी
'समझदार' कहलाई
ओ ज्ञानी वेष में
अज्ञानियों
क्या बेटी से भी
यही आस लगाई...?-
कोख में बेटी का ज़िम्मेवार बाप नही होता
बेटा बचे, बहू को जला देना पाप नही होता।-
आँखें नीचे, चुन्नी सर पे
बारहा हो जाती है।
दादाजी घर आते हैं,
माँ बहू हो जाती है।
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(अनुशीर्षक में पढ़ें,)
बहु बेटी इक समान कहकर,
बहुएं जिंदा जलाई जाती है,
फिर हो न कोई कर्म जली पैदा,
बेटियां कोख में ही दफनाई जाती है,,!!-
सिर-गर्दन-हाथ-पीठ-पेट-पैर-एड़ियाँ दर्द से है कराहती
सुबह से रात तक गृहकार्यों को वो करती है आवाजाही
आराम कीतो तुरंत आवाज आती है अरी ओ महारानी
ये आवाज़ जानी-पहचानी है बोलो सब अपनी जुबानी
ठीक है कुछ बहु-बेटों के कारण वृद्धाश्रम खुल गया हैं
इस से ज़्यादा बेरहमी सेतो बहुओं को जलाया गया है
प्रकृतिनियम पुनरावृत्ति यही धारणा अपनाया गया है
बताओ कौन सही कौन ग़लत पटल पर प्रश्न आया है-
कभी तुम भी रब से फ़रियाद करो ,
कोई इंसान भूखा न सोये
किसी के माता पिता उसे छोड़ के न जाए
कोई बुढ़ापे में अपनी संतान का अत्त्याचार न उठाये
कोई बच्चा अपनी उम्र से पहले शादी के बंधन में न बंध जाए
कोई सास अपनी बहु को न सताए
कोई पति अपनी पत्नी को न जलाये
कोई राहगीर गरीब को कुछ दिए बिना न गुज़र जाए
ये दुनिया सबकी है सब एक दूसरे का हाथ बटाएं
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कई गाँठों से बंधी थी उसकी ज़िन्दगी
कभी माँ, पत्नी तो कभी बहु बनकर
सपने तो उसके भी आसमान में उड़ने के थे
टूट ही गए सब कभी बेटी, कभी बहिन बनकर-
"तुझे तो अगले घर जाना है" ये सुनने को मिलता है मायके में
"तू तो अपने घर की ही करती रहती है" ये सुनने को मिलता है ससुराल में
घर दोनों संभालती है लड़कियां...और एक भी अपना नहीं।
क्यों???🤔🤔-
ऐसे घर क्यों जाना.....
जहां मायके सा प्यार नही
बल्कि नौकरानी सी ज़िंदगी बीतानी पड़े
शादी करो तो उस घर में....
जहां बेटे बहु दोनों को
बराबरी का प्यार और सम्मान मिले 🙌-
✨परिवार, नई बहु एवं डाँट✨
१✍️ एक घर में ६ सदस्य थे। बूढ़ा, बूढ़ी एवं उनके दो बेटे जिनकी शादी एक साथ महीनों पहले ही हुई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था। २ महीने बाद नई बहु बहुत सीधी सादी साबित हुई। यहाँ तक कि वह अपनी ही जेठानी की सेवा जतन भी करने लग गई।
२✍️ कुछ दिनों बाद तो जैसे उस पर सभी राज करने लगे एवं ताने भी कसने लगे, बूढ़े को छोड़कर। वह अपनी छोटी बहू से प्यार करते थे और समर्थन भी।
३✍️ एक दिन अचानक, बड़ी बहु एवं सास किसी छोटी सी बात पर खरी खोटी सुनाने लगे। अब बूढ़े से रहा नहीं गया एवं उसने लयात्मक रवैये में उन्हें कुछ ऐसा कहा।
बारी बारी बारम्बारी
वारिस बन न वार करो।✨.......(१.१)
तपिश अति इस तप को
बारिश बन सत्कार करो।✨.....(१.२)
प्यारी मेरी बहु बेचारी
उस पे न अत्याचार करो।✨........(२.१)
काट दो जड़ न रहे बिमारी
तल्ख़ वचन बौछार न हो।✨....(२.२)-