Abhinit onam   (©ओनम की क़लम से!)
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इक आरज़ू हूँ मैं हर किसी के लिए!
Joined 21 January 2018


इक आरज़ू हूँ मैं हर किसी के लिए!
Joined 21 January 2018
YESTERDAY AT 8:17

मंज़िल की तलाश थी उन्हें भी और हमें भी,
हम जो चुने नेक रास्ते, वो क्यूं मशहूर हो गए,,??

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7 JUN AT 15:54

हर कोई तो इस दुनिया में,
इक किरदार का ही तो मारा है...!
पहुंचा जब इक नौकर अपने ही घर,
सबने उसे "मालिक" कहकर पुकारा है...!!
रखिए लहज़े में अपने, नम्रता का एहसास,
यही तो आपके जीने का असली सहारा है...!
अपनी ही किसी नादान हरकत से,
जो बन गया कांटा,
वो अब भी मां की आंखों का तारा है...!!

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4 MAY AT 19:00

जो चुप रहा अन्याय पर,
उसका भी मौन बोलेगा,!
न्याय की जो राह न पकड़े,
वही जाने कल खुद कौन रोएगा,,!!

हर अन्याय सहना भी तो,
इक पाप समान होता है,,!
न्याय के दीप न जलाए तो,
अंधेरा हर मकान होता है,,!!

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23 APR AT 14:22

"पुलवामा से पहलगाम तक– इंसानियत की चीख"

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19 APR AT 20:49

अब कोई हाल भी पूछे तो
काँप जाता है दिल,!
दिमाग कहता है - क्या
इस सवाल में भी
कोई चाल है दिल?
गिरते-संभलते लम्हों ने
निखार दिया है मुझे,!
अब तो फ़ितरत में भी नज़ाकत है,
ग़म की मिसाल है दिल,,!!

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19 APR AT 19:09

बस इतनी सी आरज़ू है,
एक शाम वो आएं और गले लगाएं,!

फिर कोई सहर न हो,,!!

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16 APR AT 7:21

भरोसा अब आईने सा चकनाचूर है,!
हर रिश्ता बस दिखावे का दस्तूर है,,!!

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3 APR AT 4:04

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23 MAR AT 22:31

हम खाली हाथ सही मगर,
खुशियों के मोती भीतर हैं,,!!

जिनके पास जहाँ भर है,!
शिकायतें फिर भी सिहर-सिहर हैं,,!!

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23 MAR AT 22:23

ख़्वाबों की ख़ुशबू, ख़ामोशियों में खोती है,!
ख़ुशियाँ ख़रीदकर भी, ख़लिश सी होती है,,!!
ख़ाली हाथ हम, ख़ुशी में भी खिलते हैं,!
ख़ुद से ख़ास रिश्ता ओनम, हर हाल में मिलते हैं,,!!

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