ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,!
कर दो ये मुराद पूरी, फिर नहीं कोई उम्मीद जताएंगे,,!!
डूबा दिया जरूर है बहर-ए-गम में,तूने हमारी दुनियां को,
गर हो करम तेरा, फिर से सारी खुशियां ख़रीद लाएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &रुसवाइयां ऐसी की रह गया बस उनकी यादों का सहारा,!
छोड़कर ये शहर ये मुल्क,तेरे पास आकर किया है किनारा,,!!
गंवारा नहीं जीना बिना उसके, भूलना भी मुमकिन नहीं,!
गर है ओनम की इबादत सच्ची,
तेरे दिल पर खुदा इसकी रसीद कराएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &मार दे ठोकर, अपना दिल तो, तेरी कदमों में पड़ा है,!
कर दूं जान-ए-निसार भी,हाथ फैलाए तेरी चौखट पर खड़ा है,,!!
तालाश बस उनकी, तेरे हर दर पर, मेरी हर सदा में,!
वो अजीज़ है, नहीं बढ़कर दूजा उससे,
फिर कैसे खुद को किसी और के मुरीद बनाएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &सजा दूं जमीं सितारों से, गर मुकम्मल होती मेरी ईद तो,!
लौटा देता रूह-ए-जिस्म यही मासूम सी मेरी जिद तो,,!!
फूल बनकर खिला है हर ज़ख्म-ए-लफ़्ज़ ओनम के कलम का,!
बख्श दे अपनी नेमतों से,फिर खुद को
इस चमत्कार का चश्मदीद बनाएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &
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