मंज़िल की तलाश थी उन्हें भी और हमें भी,
हम जो चुने नेक रास्ते, वो क्यूं मशहूर हो गए,,??-
हर कोई तो इस दुनिया में,
इक किरदार का ही तो मारा है...!
पहुंचा जब इक नौकर अपने ही घर,
सबने उसे "मालिक" कहकर पुकारा है...!!
रखिए लहज़े में अपने, नम्रता का एहसास,
यही तो आपके जीने का असली सहारा है...!
अपनी ही किसी नादान हरकत से,
जो बन गया कांटा,
वो अब भी मां की आंखों का तारा है...!!-
जो चुप रहा अन्याय पर,
उसका भी मौन बोलेगा,!
न्याय की जो राह न पकड़े,
वही जाने कल खुद कौन रोएगा,,!!
हर अन्याय सहना भी तो,
इक पाप समान होता है,,!
न्याय के दीप न जलाए तो,
अंधेरा हर मकान होता है,,!!-
अब कोई हाल भी पूछे तो
काँप जाता है दिल,!
दिमाग कहता है - क्या
इस सवाल में भी
कोई चाल है दिल?
गिरते-संभलते लम्हों ने
निखार दिया है मुझे,!
अब तो फ़ितरत में भी नज़ाकत है,
ग़म की मिसाल है दिल,,!!-
हम खाली हाथ सही मगर,
खुशियों के मोती भीतर हैं,,!!
जिनके पास जहाँ भर है,!
शिकायतें फिर भी सिहर-सिहर हैं,,!!
-
ख़्वाबों की ख़ुशबू, ख़ामोशियों में खोती है,!
ख़ुशियाँ ख़रीदकर भी, ख़लिश सी होती है,,!!
ख़ाली हाथ हम, ख़ुशी में भी खिलते हैं,!
ख़ुद से ख़ास रिश्ता ओनम, हर हाल में मिलते हैं,,!!-