Abhinit onam   (©ओनम की क़लम से!)
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इक आरज़ू हूँ मैं हर किसी के लिए!
Joined 21 January 2018


इक आरज़ू हूँ मैं हर किसी के लिए!
Joined 21 January 2018
23 APR AT 14:22

"पुलवामा से पहलगाम तक– इंसानियत की चीख"

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19 APR AT 20:49

अब कोई हाल भी पूछे तो
काँप जाता है दिल,!
दिमाग कहता है - क्या
इस सवाल में भी
कोई चाल है दिल?
गिरते-संभलते लम्हों ने
निखार दिया है मुझे,!
अब तो फ़ितरत में भी नज़ाकत है,
ग़म की मिसाल है दिल,,!!

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19 APR AT 19:09

बस इतनी सी आरज़ू है,
एक शाम वो आएं और गले लगाएं,!

फिर कोई सहर न हो,,!!

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16 APR AT 7:21

भरोसा अब आईने सा चकनाचूर है,!
हर रिश्ता बस दिखावे का दस्तूर है,,!!

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3 APR AT 4:04

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23 MAR AT 22:31

हम खाली हाथ सही मगर,
खुशियों के मोती भीतर हैं,,!!

जिनके पास जहाँ भर है,!
शिकायतें फिर भी सिहर-सिहर हैं,,!!

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23 MAR AT 22:23

ख़्वाबों की ख़ुशबू, ख़ामोशियों में खोती है,!
ख़ुशियाँ ख़रीदकर भी, ख़लिश सी होती है,,!!
ख़ाली हाथ हम, ख़ुशी में भी खिलते हैं,!
ख़ुद से ख़ास रिश्ता ओनम, हर हाल में मिलते हैं,,!!

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23 MAR AT 22:08

See off, warm hug,
Not letting go,
Hearts say no.

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14 MAR AT 10:05

चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं,!
रंग लगाने की बजाय, रंग हटाते हैं,,!!
जो बनकर घूमते हैं बहुरूपिए हम सभी,!
अपनाते हैं इंसानियत, ढोंग का नक़ाब हटाते हैं,,!!
चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं,,!!— % &चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं,,!!
गुज़र गए जो होकर दिल के क़रीब,!
उन्हें फिर से हम अपने पास बुलाते हैं,,!!
नफ़रत, जलन, लोभ, काम और क्रोध,!
इन सबको होलिका की ज्वाला में जलाते हैं,,!!
चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते है,,!!— % &चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं,,!!
बहुत हुआ गैरों को बाहों में भरना,!
अब प्यार से सिर्फ़ अपनों को गले लगाते हैं,,!!
रंगों के इस पावन पर्व पर ओनम,!
दिलों के भी सारे फ़ासले मिटाते हैं,,!!
चलो इस बार होली कुछ ऐसे मनाते हैं…!!— % &

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14 MAR AT 8:52

रंग लगाने से बेहतर,
रंगों का उतर जाना,,
मुखौटे की तरह बनावटी
रंग इंसान बदल ही न सका,,!!

अच्छा लगा तेरा भी
रूह तलक पहुंच जाना,
वरना जिस्म से आगे कोई
फिसल ही न सका,,!!

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