Abhinit onam   (©ओनम की क़लम से!)
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इक आरज़ू हूँ मैं हर किसी के लिए!
Joined 21 January 2018


इक आरज़ू हूँ मैं हर किसी के लिए!
Joined 21 January 2018
20 MINUTES AGO

ठोकरों पर गिरों नहीं, वक्त से कहो रुको ज़रा, मुझे थोड़ा संभलने दो,,!!

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24 APR AT 3:51

बड़ी आरजू थी... लौटते देखूं...
मैं पूरे चांद को,
अब चाहत की... दुःख में न देखूं...
इस आधे चांद को,
ये कैसी... शब-ए-हिज्र की तलाश...
मासूम चांद को,
घने बादल के पीछे छोड़ दिया...
तन्हा, परेशां इक सच्चे चांद को,,!!— % &बेचैन रातों की करवटें भी न जगाएं..
इस सोते चांद को,,!
न होगा कभी सहर भटक लेने दो....
चारों पहर बंजारे चांद को,,!!

कब्र से मासूम की रूह ने भी यही
दुआ मांगी रोक ले हुस्न ए चांद को,!
जिसकी दुनियां ही उजड़ गई तो...
भला कैसे संभाले ओनम बिखरे चांद को,,!!— % &

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14 APR AT 12:57

दो पल की दुश्मनी,
गलतफहमी का मायाजाल है,!
तू जब भी रूठे मैं मनाऊं
ये मंज़र भी कमाल है,,!!
ये प्यारी दोस्ती अपनी इक
रूहानी बंधन जैसी है,!
रब ने भी माना जिसे, तू बेमिसाल
वो इक खुबसूरत ख्याल है,,!!

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14 APR AT 8:35

शांत मन से अंतःकरण में झांकने से
हर सवालों के घेरे से निकला जाता है,,!!

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14 APR AT 4:56

अजीब इतेफाक नहीं है ये क्या?

इक चांद को चांदनी नसीब नहीं,!
इक प्रेमी की प्रेमिका करीब नहीं,!!
लुटा दिया जिसने इश्क़ में अपना सब कुछ,!
अमीरों की महफ़िल में बस इक वो ही गरीब नहीं,,!!
न जाने कितनों का दिल तोडा है,!
फिर भी आज उसका कोई रकीब नहीं,,!!

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13 APR AT 23:32

समय के साथ बदलते चेहरे कभी
आपकी अंतरात्मा को नहीं बदलते,!


बस अनुभव के सहारे दिल में दबे
जज़्बात चेहरे पर नहीं उभरते,,!!

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13 APR AT 23:17

लोभ, काम, क्रोध, वासना कैसी लूट पाट,!
सब का अंत यही, सच्चाई का पढ़ाए पाठ,,!!

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13 APR AT 22:10

जब है विश्वास उस भोले में तो,
हर बददुआ बेअसर होगा,,!
जिसे हासिल नहीं, वो काबिल नहीं,
और गर पाकर भी कोहिनूर "ऋषिका"
जो न समझे, बेशक वो बेखबर होगा,,!!

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13 APR AT 16:44

अपने सारे वादे निभाने आजा,!
जज़्बात ए दिल बताने आजा,,!!
इक मुद्दत से तेरा आशिक हूं,!
मोहबब्त को अपनी जताने आजा,,!!— % &गहरा है इश्क़ अपना समंदर से भी ज्यादा,!
यकीं नहीं गर जमाने को दिखाने आजा,,!!
लिख रखा है किनारों पे मैंने नाम हमारा,!
समंदर की लहरों से उसे बचाने आजा,,!!— % &तन्हाइयों को सारे मिटाने आजा,,!
कदम संग मेरे बढ़ाने आजा,,!!
बहुत हुई गुफ्तगू मीलों दूर से,!
बस अब करीब से सताने आजा,,!!— % &बनकर गुलाब जिंदगी महकाने आजा,!
कांटों से अपने दामन बचाने आजा,,!!
भींगी पलकें गवाह है अपने विरह की,,!
आसूं पोछने के बहाने आजा,,!!— % &बेचैन रातों में सुलाने आजा,,!
ख्वाबों को मेरे सजाने आजा,,!!
रुलाया है अपनी जुदाई से मुझे,,!
ताउम्र बांधकर बंधन हसाने आजा,,!!— % &जिस्म से रूह में समाने आजा,,!
रूठा हूं खुद से मनाने आजा,,!!
बंजारों की जिंदगी अब जी नहीं जाती,,!
मैं ले आऊं बारात, घर बसाने आजा,,!!— % &

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12 APR AT 23:32

ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,!
कर दो ये मुराद पूरी, फिर नहीं कोई उम्मीद जताएंगे,,!!
डूबा दिया जरूर है बहर-ए-गम में,तूने हमारी दुनियां को,
गर हो करम तेरा, फिर से सारी खुशियां ख़रीद लाएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &रुसवाइयां ऐसी की रह गया बस उनकी यादों का सहारा,!
छोड़कर ये शहर ये मुल्क,तेरे पास आकर किया है किनारा,,!!
गंवारा नहीं जीना बिना उसके, भूलना भी मुमकिन नहीं,!
गर है ओनम की इबादत सच्ची,
तेरे दिल पर खुदा इसकी रसीद कराएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &मार दे ठोकर, अपना दिल तो, तेरी कदमों में पड़ा है,!
कर दूं जान-ए-निसार भी,हाथ फैलाए तेरी चौखट पर खड़ा है,,!!
तालाश बस उनकी, तेरे हर दर पर, मेरी हर सदा में,!
वो अजीज़ है, नहीं बढ़कर दूजा उससे,
फिर कैसे खुद को किसी और के मुरीद बनाएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &सजा दूं जमीं सितारों से, गर मुकम्मल होती मेरी ईद तो,!
लौटा देता रूह-ए-जिस्म यही मासूम सी मेरी जिद तो,,!!
फूल बनकर खिला है हर ज़ख्म-ए-लफ़्ज़ ओनम के कलम का,!
बख्श दे अपनी नेमतों से,फिर खुद को
इस चमत्कार का चश्मदीद बनाएंगे,,!!
ऐ खुदा, लौटा दो मेरा चांद, फिर ईद मनाएंगे,,!!— % &

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