# 02-01-2021 # काव्य कुसुम # दुआ #
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गुजरे हैं हम जिस बुरे दौर से वो नसीब था हमारा ।
मुफ़लिसी के उस बुरे दौर में वो नसीर था हमारा ।
दोस्तों की ही दुआ थी जो हम वक्त पर सम्हल गए-
परेशानी के उस बुरे दौर में वो बशीर था हमारा ।-
बादे सबा आज बशीर सी बनकर आयी है
साथ में अपने तेरी निकहत भी ले आयी है।-
1222-1222-1222-1222
गिले शिकवे मिटा लीजे अभी है दोपहर यारो
"न जाने किस गली मेंं ज़िन्दगी की शाम हो जाए"-
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
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आँसुओं के बने हर्फ़ दिल धोते हैं
ये लोग रात में तकिया क्यों भिगोते हैं
बेरया रूह बसती तुम्हारे अंदर है
तभी तो तुममें रब दिखता है
सबको खोया सबने मुझे खोया अब तुमको पाना है
ये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरम्यान है
#बशीर बद्र से प्रभावित
#सिर्फ तुम्हारे लिए #rupsquote
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सर झुकाओगे तो पत्थर, देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जायेगा
मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हुँ दोस्तो
जहर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जायेगा
सब उसी के है हवा, खुशबू, जमीनों- आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जायेगा
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सागर क्या समझे नदियाँ की बेचैनी।।
किनारे सामने तो है ,पर मिल नहीं सकते ।।-
तुम्हारे दिल में कोई गम कभी पलने नही देंगे।
हिज्र की आग में तुमको कभी जलने नही देंगे।
रुला लेंगे तुम्हारे वास्ते आँखों को हम अपनी,
तुम्हारी आँख से आँसू कभी गिरने नहीं देंगे।
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मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे
मुक़द्दर में चलना था चलते रहे__
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी
किराए के घर थे बदलते रहे__
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