तब मेरी दिल और दिमाग दोनों मेरे पास नहीं था.
वो टूट कर किसी किनारे पर पड़ा था और शब्दों के
माध्यम से निकल रहा था .......-
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
उनलोगों को भी जो उनहत्तर और नवासी को समझ नही पाते।
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कभी सोचती हूं जिंदगी में क्या कमाया , नजर उठाती हूं तो कुछ लोग नजर आते है।
दीवार की खाली जंगलों से कई किरदार नजर आते है।
फिर सोचती हूं, कैसे खालिस में जी रही हूं।
जब सब अपने नजरअंदाज से नजर आते है।-
कुछ सुलझी सी हुई ज़िंदगी लग रही थी, मुझे भी ऐसा प्रतीत हुआ कि, शायद प्रभु नजर रखना भूल गए है, मेरे ऊपर।
फिर कुछ दिनों बाद वही सारे हालात दिखने लगें, जो पहले एक मासूम सा दिमाग पर अपना असर कुछ इस क़दर बिखेरा था, कि मैं उस वक़्त तुम्हारे साथ समेटने में पूरा वक़्त जाया करती थी। "बस-जाया"🍁
लेकिन,
आज वही महसूस हो रहा है, पर मुझे अफ़सोस हैं, कि मैं आज खुद अकेले इस वक़्त को समेटने में लगी हूं।
आज तो वक़्त को जाया करने वाला भी शख्स कही गुम सा हो गया है।
रीत❣️-
किसी को कद्र दिया था हमने,
पर वो गलती थी, मेरी।
क्योंकि उन्हें लेने की आदत,
सब से है।-