सफेद चादर से लिपटी ये धरती और आसमान ,
आज दोनों लगते है एक समान ।
ठंडी-ठंडी पुरवा छाई ,
मेरे मन को अपनी ओर आकर्षित कर गई।
आज मन मस्तिष्क मेरा,
एक तक देखें कुदरत का यह नया रिश्ता ।
धरती और आसमान जो रहे
अलग-अलग जीवन भर यहाँ ।
एकटक निहारते थे एक दूसरे को यहां
आज यह सफेद चादर ने मिला दिया ,
इन बिछड़े प्रेमियों को, एक छोड़ में इस तरह।
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