Dr. Neeru Bhatt   (Neeru Bhatt)
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Joined 17 December 2018


Joined 17 December 2018
19 MAR AT 16:39

हार्डवेयर और साॅफ्टवेयर
ईश्वर ने हर मनुष्य को एक जैसा हार्डवेयर(5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 5 कर्मेन्द्रियाँ और 4 अंतःकरण) देकर पृथ्वी पर भेजा और कहा कि अपना अपना सॉफ्टवेयर खुद बनाओ, तभी सिस्टम सुचारू रूप से चलेगा। कुछ लोगों ने भक्ति, दया, प्रेम, करुणा, त्याग, स्वाभिमान, संयम और पुरूषार्थ से अपना सॉफ्टवेयर बनाया; साथ ही साथ अपने खान-पान, रहन-सहन और जीवन शैली पर ध्यान दिया, उनका सिस्टम ज्यादातर स्वस्थ्य रहता है।
कुछ लोगों ने ईर्षा, द्वेष, अहंकार, घमंड और लोभ को अपने सॉफ्टवेयर में शामिल किया तथा गलत खानपान, निष्क्रियता, और विपरीत जीवन पद्धती की अपनाया। ऐसे लोग न केवल अपने सिस्टम को बल्कि आसपास के वातावरण को भी दूषित करते हैं।
Neeru Bhatt

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26 JAN AT 22:09

दिल से किसी की तारीफ करना, वरना बुराई तो हम राह चलते अन्जान की भी कर देते हें।

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25 JAN AT 11:45

मन तो मेरा भी करता है
प्रयागराज होकर आऊँ
नदियों के पावन संगम में
श्रद्धा की डुबकी लगाऊँ।

एक धर्म जाने को कहता
दूजा कहता मत जा
घर में इतने सारे कुंभ हैं
पहले इनको तो निपटा।

फिर सोचती हूँ जीवन है
आगे भी अवसर आयेगा
महाकुंभ ना सही, लेकिन
अर्द्ध और पूर्णकुंभ तो आयेगा।

Neeru Bhatt



हूं इस बार नहीं तो अगली बार

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25 JAN AT 11:13

It can not be same to all, but everyone is special.
Ups and downs are envitatable.

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23 JAN AT 16:56


काँपते हुए
बदली की ओट से
झाँका सूरज।

घबराकर
भवन के भीतर
छुपा सूरज।

फिर न आया
ठ॔ड में अलसाया
नन्हा सूरज।


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18 JAN AT 15:09



कहते हैं आत्मा शाश्वत है, लेकिन,
शब्द उसको छलनी कर सकते हैं।

शब्दों का प्रयोग समझदारी से करें।।

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15 JAN AT 11:40

जब समय पर्याप्त था
संसाधनों की कमी थी
अब संसाधन पर्याप्त हैं
समय की कमी है।
पर्याप्तता और अपर्याप्तता के बावजूद
जिंदगी सुंदर है।।

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29 DEC 2024 AT 11:26

कविता
कभी लिखी, कभी मिटायी
कभी सहेजी, कभी सुनाई।
जो मन को भायी, लिखी
जो दिल को भायी, मिटायी।
जो स्वंय को भायी, सहेजी
जो दूजों को भायी, सुनाई।।

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22 DEC 2024 AT 21:21




जिंदगी की कहानी
हर एक की अपनी जुबानी।
किसी को लगे बोझ
किसी को सुहानी।
बोझिल या सुहानी
कर्मों की है परिणामी
सच तो यह है
जिस धुंध से शुरू हुई
उसी में है समानी ।।
Neeru Bhatt

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27 NOV 2024 AT 19:59

खेल सारा शब्दों का है
चाहो तो सीढ़ी बनाकर
दिल में बस जाओ
चाहो तो फिसल पट्टी बनाकर
दिल से उतर जाओ।।

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