Dr. Neeru Bhatt   (Neeru Bhatt)
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Joined 17 December 2018


Joined 17 December 2018
14 AUG AT 17:28

आधार कार्ड
आपके कर्म
आपका व्यवहार
परलोक का है......
आधार कार्ड!

Neeru Bhatt

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9 JUL AT 12:39

बालकनी में स्वतः उगी
नीले फूल वाली
जंगली बेल की पतली कोमल शाखाऐं
खिड़की की ओर बढती चली जाती।
खिड़की के खुलते ही
उसे छूने की चेष्टा करती।
एक सुहावनी सुबह
खिड़की से ऐसी लिपटी
जैसे बहुत सालों बाद
किसी बहन ने
भाई की कलाई में
बांधी हों अनेकों राखी।
Neeru Bhatt

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4 JUL AT 22:03

घर की छत पर खड़ी हूँ
दूर-दूर तक पेड़ पौधों का नामो निशान नहीं है।
नीचे आती हूँ बरामदे में
पेड़ का अंश स्वागत करता है ,
घर के अंदर आते ही
हर कमरे में पेड़ के अंश दिखाई देते हैं
समझ से परे है
पेड़ों के बीच रह रही हूँ
या पेड़ों से दूर!
Neeru Bhatt

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17 JUN AT 19:52

प्रकृति की गढी
बड़ी सी छत के नीचे
एक और छत चाहिए
धूप, ठंड, पानी से बचने को।
उस छोटी छत के नीचे
एक और छत चाहिए
असतित्व बनाये रखने को
वह छत है
पिता!

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9 JUN AT 13:21

नीम के पेड़ को कितना भी शहद से सींचो, पत्तियों से रस तो कड़वा ही मिलेगा।
कुछ लोग भी इसी तरह के होते हैं।

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17 MAY AT 13:36

अद्भुत हैं ये बादल!
समेटे हैं
सारे जहाँ की नमी
अपने आँचल में।
अनायास ही बरस पड़ते हैं,
कभी गरज कर
कभी चुपचाप, टप टप ....
बिल्कुल
आँखों की तरह।

Neeru Bhatt

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19 MAR AT 16:39

हार्डवेयर और साॅफ्टवेयर
ईश्वर ने हर मनुष्य को एक जैसा हार्डवेयर(5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 5 कर्मेन्द्रियाँ और 4 अंतःकरण) देकर पृथ्वी पर भेजा और कहा कि अपना अपना सॉफ्टवेयर खुद बनाओ, तभी सिस्टम सुचारू रूप से चलेगा। कुछ लोगों ने भक्ति, दया, प्रेम, करुणा, त्याग, स्वाभिमान, संयम और पुरूषार्थ से अपना सॉफ्टवेयर बनाया; साथ ही साथ अपने खान-पान, रहन-सहन और जीवन शैली पर ध्यान दिया, उनका सिस्टम ज्यादातर स्वस्थ्य रहता है।
कुछ लोगों ने ईर्षा, द्वेष, अहंकार, घमंड और लोभ को अपने सॉफ्टवेयर में शामिल किया तथा गलत खानपान, निष्क्रियता, और विपरीत जीवन पद्धती की अपनाया। ऐसे लोग न केवल अपने सिस्टम को बल्कि आसपास के वातावरण को भी दूषित करते हैं।
Neeru Bhatt

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26 JAN AT 22:09

दिल से किसी की तारीफ करना, वरना बुराई तो हम राह चलते अन्जान की भी कर देते हें।

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25 JAN AT 11:45

मन तो मेरा भी करता है
प्रयागराज होकर आऊँ
नदियों के पावन संगम में
श्रद्धा की डुबकी लगाऊँ।

एक धर्म जाने को कहता
दूजा कहता मत जा
घर में इतने सारे कुंभ हैं
पहले इनको तो निपटा।

फिर सोचती हूँ जीवन है
आगे भी अवसर आयेगा
महाकुंभ ना सही, लेकिन
अर्द्ध और पूर्णकुंभ तो आयेगा।

Neeru Bhatt



हूं इस बार नहीं तो अगली बार

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25 JAN AT 11:13

It can not be same to all, but everyone is special.
Ups and downs are envitatable.

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