_नसीब_
इश्क हसीन एहसास है गालिब
शिद्दत से चाहने वाला नसीब नही होता
देख कर दुहाई मांगती है दुनिया
के हर टूँटा तारा बदनसीब नही होता
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वो तो नफरत भी करके हमसे खुश थी ,
बदनसीब तो हम थे जो मोहब्बत भी करके
खुश न हो सके ।-
पैरों तले जमीं, सर पे आसमाँ नहीं है
मैं हूँ बदनसीब, मेरे पास माँ नहीं है-
है ग़नीमत के मन्ज़िलों के कितने करीब हैं,
और फिर भी नहीं हासिल, बड़े बदनसीब हैं..
उम्र गुज़री सफ़र में, फिर भी न कहीं पहुँचे,
ये रास्ते मोहब्ब्त के कितने अजीब हैं....-
कुछ लम्हे बिताएं हैं मैंने तेरे संग
कैसे कह दूं खुद को कि बदनसीब हूं मैं-
अक्सर हर किसी को प्यार नसीब नहीं होता,
हम जैसे क़िस्मत वाले भी बदनसीब रह जाते है।-
तेरे रुख़सार पर मरती हैं मौसमों की मस्तियाँ,
हम पर तो गुलिस्तां एक कली भी नहीं मरती,
थम-थम के गिराती है बिजलियाँ भी रोशनी हुजूर पर,
हम बदनसीब पर खुदा की नज़रे करम भी नहीं होती,,,,‼️-
जब दिल रोता है न 'अभि' तब आँखों का कोई काम नहीं होता है...
और जब रूह तकलीफ़ में हो न तो जिस्म को कभी भी आराम नही होता हैं...-
जलती हैं मेरी खुशियाँ मुझसे,
जरा सा मुस्कुरा लूँ तो चिढ़के भाग जाती हैं ।-