vijay thakur   (Vijay Thakur)
2.7k Followers · 12 Following

read more
Joined 19 February 2019


read more
Joined 19 February 2019
24 MAR AT 0:43

कल शाम कुछ जाम और यार साथ थे,
याद धुंधली धुंधली सी है उस महफ़िल की.
कुछ किस्से पुरानी यादों के फिर छिड़े,
हुई तारीफ रात तारों से झिलमिल की..
फिर चला दौर मोहब्बत के ग़म का,
की साझा तकलीफ रक़्स-ए-बिस्मिल की...
ज़िक्र किया जो दास्तां का हमने अपनी,
एहसास हुआ यही थी कहानी हर दिल की....

-


14 MAR AT 22:26

फ़ासले दरम्यान रफ्ता रफ्ता बढ़े,
दिन ज़िंदगी ने ये भी दिखाया.
ना मैंने फिर राह देखी उसकी,
और ना वो कभी लौट कर आया..
एक ख़ाली सी दोपहर में,
बैठ कर ये हिसाब लगाया...
के मोहब्बत करके भला,
मैंने क्या खोया क्या पाया....

-


5 FEB AT 21:44

गलतफहमी एक मुद्दत से थी,
के बात करने से हल निकलेगा.
मोहब्बत में गिले तो लाज़मी हैं,
आज नहीं तो कल निकलेगा..
अंदाज़ा तो मुझे कुछ वक्त से था,
वो करके एक रोज़ मेरा कतल निकलेगा...
मेरी शिद्दत का गवाह है ये शहर सारा,
वो यहां से गुज़रा तो रास्ता बदल निकलेगा....

-


31 DEC 2023 AT 12:21

लिखा नहीं एक अरसे से कुछ दिल से,
आज जो कुछ हो दिल की मर्ज़ी लिखें.
हुई हसरत के लेकर एक कोरा कागज़,
आज हम ज़िंदगी को एक अर्ज़ी लिखें..
करें हम जो हिम्मत हो थोड़ी सी ज़हमत,
सच्चे को सच्चा हम फ़र्जी को फ़र्जी लिखें...
हम अच्छे हैं या बुरे, फैसला ज़िंदगी करे,
अपनी खुद्दारी लिखें अपनी खुदगर्ज़ी लिखें....
हुई हसरत के लेकर एक कोरा कागज़,
आज हम ज़िंदगी को एक अर्ज़ी लिखें.....

-


9 DEC 2023 AT 14:30

ओढ़े हुए चांद सितारे, रात खूबसूरत है,
एक नए सवेरे का ये जैसे मुहुरत है..
ख़्वाब ही में सही, सुकून-ए-रूह की आरज़ू है,
बोझिल हैं आंखें, एक लम्बी नींद की ज़रूरत है....

-


1 DEC 2023 AT 23:14

वक्त के साथ कुछ दर्द कम होगा,
ऐसा अब कोई दिल को भरम नहीं है.
हिस्सा है अब ये भी ज़िंदगी का मेरी,
पहला पहला तो ये कोई ज़ख्म नहीं है..
कुछ वक्त से मैं उम्मीद छोड़ आया,
कुछ वक्त से अब कोई ग़म नहीं है...
अच्छे गुज़रने लगे हैं जब से दिन मेरे,
लबों पे अल्फाज़ नहीं, हाथ में कलम नहीं है....

-


25 NOV 2023 AT 1:20

कोई झूठी तसल्ली ना,
दिल को दिलाई जानी चाहिए.
सच बोलने को ना,
कसमें खिलाई जानी चाहिए..
बात जो भी हो दिल में,
बताई जानी चाहिए...
मोहब्ब्त हो या नफ़रत हो,
जताई जानी चाहिए....

-


16 NOV 2023 AT 14:34

कोई ख़त एक तुम्हारा, मेरे नाम चाहिये,
मुझे तुमसे मुलाक़ात को एक शाम चाहिये.
थक गया हूँ अब और ना कोई काम चाहिये,
दर्द-ए-दिल से अब मुझको आराम चाहिये..
बदनामी भी इश्क़ में मेरी सरे राह ही हुई,
फ़ैसला आख़री भी मुझको सरे आम चाहिए...
भले आबाद हो जाएं या हो जाएं बर्बाद,
इस मोहब्ब्त का अब मग़र अंजाम चाहिये....

-


19 OCT 2023 AT 9:25

वो इश्क भला क्या इश्क,
मुकद्दर में जिसके कुर्बानी नही है..
रूहानी हो जिस्मानी हो कैसा भी,
हो जाए हासिल ये वो कहानी नहीं है....

-


17 OCT 2023 AT 21:29

खुश रहते थे बेवजह यूं ही,
कभी वो भी एक ज़माना था.
रौनकें रहती थी महफिलों में,
वहां अपना भी आना जाना था..
बर्बादी मुकद्दर में लिखी थी,
हमें तो दिल लगाना था...
राहे-मोहब्बत में हश्र ये होगा,
ये किसी को पहले बताना था....

-


Fetching vijay thakur Quotes