दिल के जो आरपार ना हो, ऐसी हम नज़र नही रखते |
माप ले जिसकी गहराई को, कोई ऐसा हम ज़िगर नही रखते |
पूरा हो जो किसी मुकाम पर कभी, ऐसा हम सफ़र नही रखते |
हमें हरादे आसानी से कोई, और ख़ुशी से जीये अपनी जिंदगी |
ऐसे दुश्मनों का हम कभी, सलामत लॉव-लश्कर नही रखते ||-
माँ मुझे पढ़ना है ,
तुम्हारी बिटिया को
पढ़ लिखकर
नाम तुम्हारा रौशन करना है
माँ ! मुझे पढ़ना है ।..
मेरे पंख उड़ान की चाँह लिये,
फौलादी बुनियाद लिये ,
मेरे मन में दबी जो चिंगारी है
उसे आग करना है ।
माँ !.....मुझे पढ़ना है ।..
पापा को भी समझाओ माँ !
मैं जब पढ़ लिख जाऊँगी ,
गिरवी पड़ी सहारा अपनी
उसे छुड़ाऊँगी ।
कोई आँधी तूफान जो आये
नही घबराऊँगी ।
अब अपने सपनो को
दिन रात गढ़ना है ।
माँ ! मुझे पढ़ना है । ...-
क्यूंकि कोई दिल ना मिला
दिलदार ना मिला
कभी किसी का प्यार ना मिला।-
फौलादी सीना ताने भर कर आया हुंकार
चीर कर दुश्मन की छाती
देखो फिर घर आया मां का लाल ...🙏🙏-
हुए मजबूर तो क्या कोशिशें कम कर द दे,
हालात भले अनुकूल न हो इरादे वही फौलादी है!!-
मेरा दिल फौलादी है बचपन से , ये मेरे माँ की ममता है ,, नही कर सकता दर्द हुकूमत दिल पे मेरे,
ये मेरे माँ के प्यार की असीम क्षमता है ,,
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मेरी चाहतों के ज़नाजे़ पर,
जो अपने जिंदगी की हर खुशी मनाएँगे!
हमें दुनिया की सच्चाई बताने के लिए,
हम उन्हें ही शुक्रिया अता फरमाएँगे।
कि जहाँ कागज़ की कश़्ती में हम,
अपना बचपन तलाशते थे कहीं,
आज़ अपनी चाहतों के जनाजे़ पर,
दुनिया में जीने की कला दिखाएँगे।
कि हसरत नहीं हमें अमीरों के जैसे,
ऊँची मंजिलों में रहने की,
हम तो गरीबों के झोपडे़ में ही,
दिवाली और रमजा़न का वो सुख कमाएँगे।
कि दिन हमारे और आपके भी,
बदल जाएँगे एक दिन।
बस थोडा़ हौसला और सब्र रखिए।
कि दुख के ये बादल, जल्द ही छँट जाएँगे।
कि फिर खिलेंगे सुख के सुरज!
महलों में रहने का सुख,
एक दिन आप भी ज़रुर पाएँगे।
कि जंग नहीं जीते जाते हौसले गिराकर,
जहाँ पे फतह वही करते हैं, ऐ हुजु़र!
जो रखते हैं अपने अपने हौसले,
फौलादि बनाकर!
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झूठे शान के परिंदे
अक्सर बहुत फड़फड़ाते है
क्यूंकि
बाज की उड़ान में आवाज नही होती है-
हमारे ठिकाने पर सिर्फ - 2
ही लोग कदम रखते है !
एक - जिनका फौलादी जिगर हो ।
दूसरा - जिनका जीरो फिगर हो ।-