अब वह निरन्तर दौड़ता है, थकता है , फिर दौड़ता है
किसी को पाने को नहीं, रिझाने को नहीं बस दौड़ने को ।।-
(Lyricist)
बहुत सजाता है वो आशियानों को उमिद्दों में हर दिन
फिर एक दिन आग लगती है और सब उजर जाता है।।-
चेहरे से मुहब्बत तक कि बात होती तोह मसला न था,
बात रूह की थी और रूह कभी गलत नहीं होता।।-
कोई बिखर कर भी मुस्कुराए तोह बड़ी बात है
यहां तोह हर छोटी बात पे रोने वाले बैठे है ।।-
कतारों में होंगे लाखों खड़े आशिक़ तेरे इंतज़ार में बेशक ,
यहां कतरा भर इश्क और एक झलक तेरी काफी है उम्र गुजारने को ।।-
तुम मन मंदिर के कोने में दिए जलाए बैठी हो,
मै पागल गंगा के तीरे नजर बिछाए तुझे ढूंढ रहा।।-
चार दिन के जिंदगानी से एक उम्र चुरानी है
उम्र के दो पल खामोशी से तेरे साथ बितानी है।।-
इतना खामोश हो जाऊं की कोई शोर सुनाई न दे
रात इतनी गहरी हो कि दूर तक भोर दिखाई न दे ।।-
"हंस के बात" टाल देती तोह फिर भी ठीक था,
"बात" टाल के हंस देने का साहस कहां से लाती हो!!-
जहां से चले थे फिर वहीं को पहुचनें लगे हैं,
तेरा मेरा मिलना कुछ पल, इत्तेफाक भर था ।।
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