Nitish Mishra  
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बस खयाल आया और लब्ज उतर गए।।।।
(Lyricist)
Joined 4 April 2019


बस खयाल आया और लब्ज उतर गए।।।।
(Lyricist)
Joined 4 April 2019
7 MAR 2022 AT 23:51

अब वह निरन्तर दौड़ता है, थकता है , फिर दौड़ता है
किसी को पाने को नहीं, रिझाने को नहीं बस दौड़ने को ।।

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7 MAR 2022 AT 10:10

बहुत सजाता है वो आशियानों को उमिद्दों में हर दिन
फिर एक दिन आग लगती है और सब उजर जाता है।।

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25 FEB 2022 AT 21:10

चेहरे से मुहब्बत तक कि बात होती तोह मसला न था,
बात रूह की थी और रूह कभी गलत नहीं होता।।

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12 FEB 2022 AT 17:33

कोई बिखर कर भी मुस्कुराए तोह बड़ी बात है
यहां तोह हर छोटी बात पे रोने वाले बैठे है ।।

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12 FEB 2022 AT 17:06

कतारों में होंगे लाखों खड़े आशिक़ तेरे इंतज़ार में बेशक ,
यहां कतरा भर इश्क और एक झलक तेरी काफी है उम्र गुजारने को ।।

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7 FEB 2022 AT 22:55

तुम मन मंदिर के कोने में दिए जलाए बैठी हो,
मै पागल गंगा के तीरे नजर बिछाए तुझे ढूंढ रहा।।

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6 FEB 2022 AT 18:12

चार दिन के जिंदगानी से एक उम्र चुरानी है
उम्र के दो पल खामोशी से तेरे साथ बितानी है।।

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24 JAN 2022 AT 23:40

इतना खामोश हो जाऊं की कोई शोर सुनाई न दे
रात इतनी गहरी हो कि दूर तक भोर दिखाई न दे ।।

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17 JAN 2022 AT 23:32

"हंस के बात" टाल देती तोह फिर भी ठीक था,
"बात" टाल के हंस देने का साहस कहां से लाती हो!!

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17 JAN 2022 AT 12:47

जहां से चले थे फिर वहीं को पहुचनें लगे हैं,
तेरा मेरा मिलना कुछ पल, इत्तेफाक भर था ।।

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