जब 'पांव' में 'बाप' की 'पगड़ी' रख दी जाए, तो 'मोहब्बत' से हाथ छुड़ाना पड़ता है..
...फिर चाहे कोई 'वेवफा' कहें या 'बेरहम', कुछ 'फर्ज' हैं जिन्हें निभाना पड़ता हैं...!!
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हमारा कोई भी लफ्ज़, माँ के प्रति निभाया गया कोई भी फर्ज..
माँ का कर्ज अदा नहीं कर सकता...!!-
अब अपना भी तो फ़र्ज़ है
कि बदल जाए हम भी
जब सब बदल रहे है तो।।-
नए दोस्त मिलें हैं तुम्हे,
उन्हे पहले से मैं जानता हूँ,
फितरत-ए-खुदर्गज सब हैं वो,
हर एक को मैं पहचानता हूँ..
यार पुराने तुम हो मेरे,
तुम्हारी भलाई मै चाहता हूँ,
आगाह करने को बस तुमको ,
ये hidden message मैं लिख रहा हूँ..-
देखकर जब बच्चे को माँ-बाप मुस्कुराते है
हर बच्चे को उनमे अपने भगवान नजर आते है।
मा-बाप अपना दर्द भूल जाते है।,मर्ज भूल जाते है,
बच्चे बडे होकर फर्ज भूल जाते है,कर्ज भूल जाते है ।-
मुश्किल कुछ भी नहीं, अगर मन से करना चाहो
फर्ज भी निभ जाएंगे, और कर्ज भी चुक जाएंगे-
लेकर इत्र भरा संदेश फ़लक से
चली आती हैं धरा की ओर ..
फिर रिमझिम रिमझिम आवाज़ में
पढ़कर सुनाती हैं ..
जब घुल जाता है इत्र हवा में
और महक जाती हैं सृष्टि
मिल कर मिट्टी में यहीं की हो जाती
कहीं खिलती है कलियों में
कहीं पत्तों पर लहराती हैं..
किसी समझदार "लड़की" सी
ये बारिश की बूँदें ...
अपने सारे "फ़र्ज" निभाती हैं ...-
कश्मीरियों का कर्ज कब चुकायेगा भारत?
सेकुलरिज्म का फर्ज कब निभायेगा भारत?-
कर्ज भी बाक़ी रह गया, फर्ज भी बाक़ी रह गया
हो न सका इलाज़ कुछ, मर्ज भी बाक़ी रह गया-
मुझे अभी बहुत लोगों के कर्ज अदा करने हैं।
ये खुदा तू ही बता में इतने जल्दी कैसे हार मान लूं।-