Kokil Rajpurohit   (©kokil Rajpurohit)
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लिखने की महज़ कोशिश 😊
Joined 1 September 2018


लिखने की महज़ कोशिश 😊
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12 JUL AT 13:13

"तुम अकेली नहीं ,जो जाग रही हो इस रात।"


~Read in caption ~

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3 JUL AT 15:20

घास ....
उग आती हैं पहली बरसात के बाद

अनगिनत पांवों का कुचलना सहन करके
फिर लहराने लगती हैं ....
उखाड़ कर फेंक दी जाय
तो फ़िर पनप जाती हैं..

घास प्रिय हैं मुझे
क्योंकि ..
वो इंतजार नहीं करती
किसी के 'आने' का |

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14 APR AT 13:00

दोष देते रहे वो 'चांद' को हमेशा कि कभी अपना नहीं हुआ..
वो लोग जिन्होंने 'आसमां' बनने की कभी कोशिश भी नहीं की।

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8 MAR AT 13:13

सबसे पवित्र हृदयों को सदेव
पत्थर समझा गया ......
एक दिन वह सच में पत्थर बन गए

ओर चुन लिये गए
'ईश्वर' कि मूर्तियों के लिए ...।

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8 JAN AT 17:48

ना ही वह लोग...
जो छोड़ चुके हैं शहर तुम्हारा।

ना ही वो...
जिन्होंने तय कर ली कई देशों की दूरी ।

और वो तो बिलकुल नहीं...
जो रहते हैं अब 'आसमां' में |

नहीं.. इनमें से कोई कहीं नहीं गया
सभी हैं बस... एक "याद" की दूरी पर ।

दूर चले जाने का केवल एक मतलब हैं..
"मन से निकल जाना हैं "

जो मन से चले जाते हैं ..
वो सामने हो.. फ़िर भी कभी नज़र नहीं आते हैं ।

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14 SEP 2024 AT 20:12

"ज़िन्दगी का पतझड़"

( Read in caption )

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22 FEB 2024 AT 16:50

शाम के वक्त
जब उजाला चल पड़ता हैं
पश्चिम की ओर
कुछ किरनें जब झांकती हैं क्षितिज से

उस वक्त घंटों बिताता हूं मैं ...
अपने घर की छत पर ।

लेकिन..मैं सूर्यास्त नहीं देखता ।

मैं निहारता हूं ....
घोंसले की ओर लौटती छोटी चिड़िया को ।

किसी को जाते देखने से
ज़्यादा सुकून देता हैं मुझे
किसी को लौट कर आते हुए देखना ।

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3 NOV 2023 AT 10:52

चांद , तारा, आसमान नहीं....
तुम किसी के लिए "धरती" बनना ।

( Read in caption )

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13 OCT 2023 AT 20:34

रात के स्याह अंधेरे में टिमटिमाते तारों सी
कुछ उम्मीदें चमकती हैं आंखों में मेरे....

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29 AUG 2023 AT 17:09

मगर याद रखना तुम सपनें मत देखना.....

(Read in caption)

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