Rahul Bhardwaj   (Estuary)
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Joined 14 May 2020


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Joined 14 May 2020
21 MAY 2020 AT 10:59

हिमालयी नदियो सी यौवनावस्था मे हो तुम, दक्षिणी नदियो की भाँती बूढा हो चूका मै।। जल से लबालब,वर्ष वाहिनी प्रकृति तुम्हारी है,
तो मौसमी हद मे सिमित हूँ मै।।

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23 DEC 2021 AT 0:36

आज फिर मैने अपनी नींद को कुर्बान कर दिया,
ईक और रात तेरे नाम कर दिया..
सलामत होगी तू यहि सोच के,
दिल ने अपनी बेचैनी को आराम दे दिया...

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25 JUN 2021 AT 1:03

इश्क का नशा भी इक रोज उतरेगा गालिब,
कि बेवफाई का आलम चारो ओर है..

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17 JUN 2021 AT 20:12

मालिक तेरी दुनिया मे ,
हो रहा बस अत्याचार है..
नारी पे है जुल्म बहुत,
हो रहा र्दुव्यवहार है..

कब तक रहोगे मौन प्रभु,
क्या मिलता नही समाचार है..
मग्न क्यों हो तुम खुद मे,
ये तुम्हारा ही संसार है...

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9 JUN 2021 AT 23:40

उठ रहा है धुआं दिल के किसी कोने से
कि अब सब्र का समा टूटने को है..।

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9 JUN 2021 AT 20:11

कुछ पाने की है चाह नही,
खुद की अब तलाश है..
जिस्म की है भूख नही,
ये रूह की प्यास है..।।

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5 NOV 2020 AT 18:30

बदल जाते हैं लोग अक्सर आपको बदल कर..
मंजिल की बात ही क्या,
रास्ते भी बदल जाते हैं कुछ दूर साथ चल कर...

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2 NOV 2020 AT 5:59

लिखने जैसी कोई बात नही,
पहले जैसे हालात नही...
दिन है ये कोई रात नही,
दिल मे भी हैं जज्बात नहीं..
बारिश है पर बरसात नही,
अब मै खुद के ही साथ नही..

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19 AUG 2020 AT 22:49

अंधेरा है दिल में उजाले की खोज है,
खुद से खुद की लड़ाई जारी हर रोज है...

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2 AUG 2020 AT 21:12

कभी गाँजा,कभी दारू तो कभी बन्द कमरे मे जुआ..
गहरी होती गई दोस्ती,उड़ता रहा धुआँ...

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