पेड़ पर उगी
नयी नयी.. एक कविता
तुतला कर बोली
लकड़हारे... मत काटो
मुझे.. अभी पकने दो.... ।
कविता
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मुझे लगता है मैं पिछले जनम में एक पेड़ था जिसकी परछाई इस जनम में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ती .. लोग मुझे आज भी अपने अनुसार काट कर नया रास्ता बना लेते हैं.. इसलिए जब भी कोई पेड़ कटता है मैं उससे लिपटकर बेतहाशा रोता हूँ ...
अपनी मौत पर मातम मनाना सबके नसीब में नहीं होता!-
आज कुछ ऐसा है चांद पेड़ों की आड़ में
जैसे आंखें कोई हिजाब से झांकती हो
- सुप्रिया मिश्रा-
आनन्दमय हो जायेगा मन
ये नजारा देख गांवों का
पेड़ पौधों व हरियाली है
मजा लो पीपल छावों का-
और शिकायतें कितनी हैं हमारी,
हम शिकारी बने,
हम ही शिकार हो रहें हैं...
विकास की राह में निकले,
हम ही विकार हो रहें हैं...
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एक पेड़...
पानी ढूँढ रहा है।
शायद प्यास से मर रहा है।
ये वही पेड़ है जो हवा देता है।
एक दिन ये भी हवा देना बंद कर ही देगा।
आज तो तुम इसकी प्यास के पानी को बहा कर ख़ुश हो।
कल ये बहुत ख़ुश होगा जब मर जाएगा और तुम साँस नहीं ले पाओगे।-
लो झड़ गया मैं
शाखों पर से तेरी,
अब तो ना कहोगे कि
बोझ उठाता था तू मेरी?
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एक किसान पेड़ लगा रहा था
उसके पांच वर्ष के बेटे ने कहा बाबा
हम पेड़ क्यूं लगाते हैं????
किसान ने कहा:--बेटा तू भी पेड़ लगाना,
ये पेड़ जो होते हैं,वो इंसान का अन्त तक
साथ निभाते हैं!!!
पिछले कुछ वर्षों से बाढ़, सुखा और कर्ज कि
परेशानी से जूझ रहे उस किसान ने
उसी पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली..!!!
"वो किसान सच कहता था,
पेड़ अंत तक साथ निभाएगा"..!!!
:--स्तुति
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सरकार "जंगल" के तरफ बहुत सारे
"पेड़" कटवा रही है,
सुना है वहां बड़ा सा "ऑक्सीजन प्लांट"
लगने वाला है..!!!!
:--स्तुति-