भूल गये सब गाँव की बातें
पीपल के उस छाँव की बातें !
चारों तरफ फैली हरियाली,
जैसे धरती ओढ़े हो चुनर धानी !
टेढ़ी-मेढ़ी वो पगडंडी, उनपे
इठलाती, चलती बच्चों की टोली !
याद आती है कभी वो बैलगाड़ी
आम-अमरूदों से लदी फुलवारी !
वो खेतों में खिलती खुशहाली
किसे याद कुएँ का मीठा पानी !
ऐसा होता था एक गाँव कभी
आओ बच्चों सुनाएँ तुम्हें कहानी!
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