Amrita   (अमृत)
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Joined 19 June 2018


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13 NOV 2022 AT 15:28

लौट आती हैं
सदाएँँ
अक्सर
टकराकर
किस्मत की
बंद किवाड़ों से,
जैसे
खाली हाथ
लौटा हो
श्रमिक,
दिनभर
ख़ाक छान
जमाने की!

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4 FEB 2022 AT 19:19

रहनुमा बनकर वो समझ लेते हैं क्यों,
बाद उनके कोई सुनवाई नहीं होगी।
सूरज निकलेगा,न सुबह होगी जिसकी,
रात ऐसी तो कोई आयी नहीं होगी।

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12 JAN 2022 AT 15:20

बड़ी अजीब है ये दुनिया,
रोज क़िस्से नये गढ़ जाती है,
लाख बचते हुए इनकी गलियों से गुज़रो,
सिर मलामत क‌ई मढ़ जाती है।

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31 DEC 2021 AT 18:27


अलविदा 2021

पलटो जितने भी ज़िन्दगी के पन्ने,
ज़ेहन की दीवारों पर अक्सर
टँगी मिल जाती हैं तारीख़ें...!
लाख मिटाओ, खरोंच दो इनको,
जाने कहाँ से नक़्श यादों के
उकेर जाती हैं तारीख़ें...!
ख़ुद में कितने राज़ समेटे,
जाने कितने क़समें-वादें
सब कुछ तो कह जाती हैं तारीख़ें...!
वक्त की शाख से टूट गए जो,
हाथ से हाथ छूट ग‌ए जो
भूले-बिसरे किस्से सारे, दोहरा जाती हैं तारीख़ें...!
……………………

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30 DEC 2021 AT 19:52

लाख रटते रहो उम्रभर ज़िन्दगी के पाठ,
कुछ सवाल रह ही जाते हैं सदा बिना ज़वाब,

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10 MAY 2020 AT 18:30

माँ का आँगन

काश तेरे आँचल तले
तमाम उम्र गुज़र जाती
थाम कर उँगली, ओ माँ
तू बचपन मेरा फिर ले आती।

(पूरी रचना कृपया कैप्शन में पढ़ें)

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15 DEC 2019 AT 20:41

मुश्किलें दिन-बदिन उम्रदराज हुईं,
मगर दिल मचलता हुआ बच्चा ही रहा।

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27 OCT 2019 AT 17:41

दीप जले जगमग जग सारा
प्रेम-सौहार्द का हो उजियारा
हृदय तल से है यही कामना
दुःख का हरसूं मिटे अंधियारा

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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12 OCT 2019 AT 13:37

बाँट कर थोड़ी मोहब्बत, खुशियाँ अपार ढूँढ लेते हैं
मुस्कुराते चेहरों मे तुझे ऐ ज़िदंगी हरबार ढूँढ लेते हैं

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4 AUG 2019 AT 20:46

यूँ आबाद है मेरी हस्ती
तू मस्ती लहरों की
मैं मचलती हुई कश्ती 

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