अधूरी_खवाईश
मैं तुम और चाय, ये पहाड़ों वाली शाम,
सपने कुछ अधूरे रह गए बिन तेरे नाम।-
पहाड़ों से ही शुरू होती है और पहाड़ों पे ही खत्म
हमारी कहानी बस इतनी सी है कि पहाड़ी हैं हम..!
_ S@nd!P❤-
.. ईश्वर ने बचा रखा है हमें !
.... और इस तरह मृत्यु से पहले,
ड़र से मरने के ड़र से
ईश्वर द्वारा...
बचा लिए जाते हैं हम।
(संपूर्ण रचना अनुशीर्षक में)
-
मेरा एक ख़्वाब हैं
क़ही दुर पहाड़ों के बीच
एक घर हो अपना
जिसमें सिर्फ़ हम,तुम
ओर हमारा इश्क़ बसे।-
ज़िंदगी उस मुकाम पर हैं, कि अगर पहाड़ों की हसीन वादियों में भी जाकर जोर से पुकारे .....
"जिंदगी.... "
तो वापस सुनाई देगा
"झंड है, झंड है, झंड है"
😂😂😂😂😂😂😂-
पहाड़ों में पत्थर ना हो तो वे धराशाई हो जाते हैं,
किंतु फिर भी पाषाण किसी के प्रिय नहीं है, सभी पुष्प देखना चाहते हैं, घास के जंगलों में कुछ मोहक नहीं है, मन भी अपनों को देखना चाहता है, बाकी की दुनिया तो भीड़ लगती है...-
पहाड़ों की तरह हो गए हैं आजकल के रिश्ते..!
जब इधर से ना पुकारों तो उधर से भी आवाज नहीं आती..!!-
"सागर किनारे वाली है
ना कोई पहाड़ों वाली
क्या उसकी हाँ मिलेगी
जीवन में बहारों वाली"-