इश्क को जितनी मिली कम ही उम्र मिली
नमी आंखों में होठों को चुप की हिदायत मिली
बेवफ़ा कोई नहीं बस खुद से शिकायत मिली
हाल ए दिल सब ने पूछा हंस के, हमदर्द बता के
ना फिर किसीसे दुनियां में अपनी तबीयत मिली
जिसने किए दिल फरेब दावे किए ना रौशन यहां कोई शख्सियत मिली
नामचीन इन गलियों में एहसास के मारों को जब मिली अज़ीयत मिली
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