कौन कहे किस पल क्या हो!ऐसी भी हलचल क्या हो!साथ हमारे,पास हमारे,जब तुम हो!क्यों सोचें हम कल क्या हो! -
कौन कहे किस पल क्या हो!ऐसी भी हलचल क्या हो!साथ हमारे,पास हमारे,जब तुम हो!क्यों सोचें हम कल क्या हो!
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उलझी रहती हूँइसी कश्मकश में कि.....!तुम्हें अल्फाजों में ढालूं,या फिर तेरी यादों में डूबी रहूं। -
उलझी रहती हूँइसी कश्मकश में कि.....!तुम्हें अल्फाजों में ढालूं,या फिर तेरी यादों में डूबी रहूं।
एक मुद्दत से तेरी याद,आयी भी नहीं।और हम भूल गए हों तुझे,ऐसा भी नहीं। -
एक मुद्दत से तेरी याद,आयी भी नहीं।और हम भूल गए हों तुझे,ऐसा भी नहीं।
वो अभी तक नही समझाकि मैं ग़ुस्से में सीधी बात नही करती।क्या “सखी” उसने कभीतूफ़ानों में सीधी बारिश देखी है..? -
वो अभी तक नही समझाकि मैं ग़ुस्से में सीधी बात नही करती।क्या “सखी” उसने कभीतूफ़ानों में सीधी बारिश देखी है..?
I am not available to everyonebut once decided to be available to anyone. Whether it is hell or heaven,I will always be there! beyond the horizon! -
I am not available to everyonebut once decided to be available to anyone. Whether it is hell or heaven,I will always be there! beyond the horizon!
मैं पा ना सकी इस कश्मकश से छुटकारा।जब वो मुझे जीत सकता था तो “सखी” हारा क्यो.?.? -
मैं पा ना सकी इस कश्मकश से छुटकारा।जब वो मुझे जीत सकता था तो “सखी” हारा क्यो.?.?
7 दिन के इश्क़ वाले जमाने में मुझे7 जन्मो वाली मोहोब्बत करनी थी -
7 दिन के इश्क़ वाले जमाने में मुझे7 जन्मो वाली मोहोब्बत करनी थी
तो एक ख्याल ही तो हूँ मैं,याद रह जाऊँ तो याद रखना।वरना सौ बहाने मिलेंगे,भूल जाने को मुझे। -
तो एक ख्याल ही तो हूँ मैं,याद रह जाऊँ तो याद रखना।वरना सौ बहाने मिलेंगे,भूल जाने को मुझे।
पुराने दर्द लिखूँ या ताजे जख्म लिखूँ।या जिसने दिए उसका जिक्र लिखूँ।खामोश है लब, और चुप है कलम।अब तुम ही कहो “सखी” कैसे हाल-ए-दिल लिखूँ । -
पुराने दर्द लिखूँ या ताजे जख्म लिखूँ।या जिसने दिए उसका जिक्र लिखूँ।खामोश है लब, और चुप है कलम।अब तुम ही कहो “सखी” कैसे हाल-ए-दिल लिखूँ ।
मैं रुठी,वो भी रुठ गये,फिर मनायेगा कौन?आज दरार है,कल खाई होगी,फिर भरेगा कौन?मैं चुप,वो भी चुप फिर,इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन?बात छोटी को लगा लेंगे दिल से,तो फिर रिश्ता निभायेगा कौन?दुखी मैं भी और वो भी बिछड़कर,“सखी” फिर हाथ बढ़ायेगा कौन? -
मैं रुठी,वो भी रुठ गये,फिर मनायेगा कौन?आज दरार है,कल खाई होगी,फिर भरेगा कौन?मैं चुप,वो भी चुप फिर,इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन?बात छोटी को लगा लेंगे दिल से,तो फिर रिश्ता निभायेगा कौन?दुखी मैं भी और वो भी बिछड़कर,“सखी” फिर हाथ बढ़ायेगा कौन?