ρяιуα   (🦋सखी🦋)
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अभी सफ़र में हूँ।
Joined 16 March 2020


अभी सफ़र में हूँ।
Joined 16 March 2020
3 SEP 2022 AT 17:24

कौन कहे किस पल क्या हो!
ऐसी भी हलचल क्या हो!
साथ हमारे,पास हमारे,जब तुम हो!
क्यों सोचें हम कल क्या हो!

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27 SEP 2021 AT 18:30

उलझी रहती हूँ
इसी कश्मकश में कि.....!
तुम्हें अल्फाजों में ढालूं,
या फिर तेरी यादों में डूबी रहूं।

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27 SEP 2021 AT 18:22

एक मुद्दत से तेरी याद,
आयी भी नहीं।

और हम भूल गए हों तुझे,
ऐसा भी नहीं।

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21 AUG 2021 AT 17:33

वो अभी तक नही समझा
कि मैं ग़ुस्से में सीधी बात नही करती।
क्या “सखी” उसने कभी
तूफ़ानों में सीधी बारिश देखी है..?

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1 AUG 2021 AT 7:13

I am not available to everyone
but once decided to be available to anyone.
Whether it is hell or heaven,
I will always be there!
beyond the horizon!

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20 JUL 2021 AT 17:16

मैं पा ना सकी इस कश्मकश से छुटकारा।
जब वो मुझे जीत सकता था तो “सखी” हारा क्यो.?.?

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26 JUN 2021 AT 7:18

7 दिन के इश्क़ वाले जमाने में मुझे
7 जन्मो वाली मोहोब्बत करनी थी

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18 JUN 2021 AT 7:21

तो एक ख्याल ही तो हूँ मैं,
याद रह जाऊँ तो याद रखना।

वरना सौ बहाने मिलेंगे,
भूल जाने को मुझे।

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17 JUN 2021 AT 6:46

पुराने दर्द लिखूँ या ताजे जख्म लिखूँ।
या जिसने दिए उसका जिक्र लिखूँ।

खामोश है लब, और चुप है कलम।
अब तुम ही कहो “सखी” कैसे हाल-ए-दिल लिखूँ ।

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17 JUN 2021 AT 6:43

मैं रुठी,वो भी रुठ गये,
फिर मनायेगा कौन?
आज दरार है,कल खाई होगी,
फिर भरेगा कौन?
मैं चुप,वो भी चुप फिर,
इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन?
बात छोटी को लगा लेंगे दिल से,
तो फिर रिश्ता निभायेगा कौन?
दुखी मैं भी और वो भी बिछड़कर,
“सखी” फिर हाथ बढ़ायेगा कौन?

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