बता चुकी हूँ जो बात
फिर न बताऊँगी,
नयी उम्मीद, नयी है आरजू
चिराग भी नया ही जलाऊंगी,
जिसका नाम है मेरी पहचान
उससे आज जमाने को मिलाऊंगी,
अब मुझे किसी से डर नहीं
गर आँधियाँ भी आयीं तो,
वो मुझे
बुझा न पाएगीं,
-
मनुष्य के अनेकों महत्वकांक्षाएं होती हैं
पर त्याग और बलिदान ही व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती है-
हम युवा है..
युवा शक्ति है भारत की पहचान..
नवनिर्माण की ज्वाला है हम
जो कण कण में ऊर्जा भर दे
वो भरपूर नवऊर्जा है हम
हम युवा है..
जो मुश्किलों से लड़ जाये
वो दो धारी तलवार है हम
जो अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज उठाये
उस युवा शक्ति को सलाम है
हम युवा है..
राष्ट्र निर्माण में सबकुछ न्योछावर कर दे
उस युवा शक्ति को प्रणाम है
देश विदेश में जिसके नाम की डंका गूंजे
उस युवा तरुणाई पर अभिमान है
हम युवा है..
नहीं आग हमारे हाथों में
हम तो ख़ुद ही कर्मों एक चिंगारी है
दुष्टता और अत्याचारों से
निरंतर युध्द हमारा जारी है
हम युवा है..
युवा शक्ति है भारत की पहचान...-
ज़रा जाने से पहले ये तो बताते जाओ
मोहब्बत करने से पहले मैं कैसा था?-
मुश्किलों को हौसले से, वो आसान बनाता है।
हारता नहीं अंधेरों से जो, वो पहचान बनाता है।
खटता है दिन रात खेतों में, पसीनें में लथपथ
हमारे खुराक का अन्न, जो किसान बनाता है।
फसल खराब हो तो, रोटी अखरती है उसको
निगरानी करने को खेत में, वो मचान बनाता है।
बारिश में छत टपकती है, उस मजदूर की
शहर में दूसरों के जो, बड़े मकान बनाता है।
रेखाएँ क्या कहती हैं, क्यूं उलझे हो "नवनीत"
अपने कर्म की रेखा, तो खुद इंसान बनाता है।-
कुछ वक्त तो दो हमें,
की आप को जान सकें.
देखो हमें भी क़रीब से,
फिर न कहना,
पहचान न सकें...-
कोई जन्मा है मेरे अन्दर
पर मुझसे जुदा हैं, वो
जो रूठा है मुझसे
या मेरी खुशियों से,
( अनुशीर्षक में पढें)-
रिश्ते खून के रिश्ते प्यार के
हर रिश्ते का एक अलग एहसास है
पर दोस्ती वो रिश्ता है
हर किसी के जिंदगी का
जिसकी नीव सिर्फ विश्वास है
दोस्त प्यार है दोस्त यार हैं दोस्त जान है
पर सच्चा दोस्त ही दोस्ती की सही पहचान है
दोस्त है तू यार है अपना
कहते सब हैं लेकिन निभाता
हर कोई नहीं है और जो
कुछ कर भी न सके
आपका फिर भी साथ न छोड़े
सही माईने मे सच्चा दोस्त
वहीं है दूरियां आ जाए
कभी जिंदगी में तो भी
दिलों मत लेना कभी तुम
चले जाना हमसे मिलने तो
कभी हमें बुलाना जो रिश्ता
बनाया है खुद से सच्चा दोस्त
बन के मरते दम तक निभाना
-
जो तुझे पहचान न पाये,
तेरी बातों में ऐसे उलझे की होश न रहा,
जिसे मान रहे थे अपनी मोहब्बत
वो मोहब्बत,मोहब्बत न रहा,
वो ज़ालिम एक बार कह देती गर मोहब्बत नहीं था,
हम तेरी खुशियों के खातिर तुझे छोड़ देते
यूं ही आँखों में भ्रम का मौसम न था...!-