इस झूठी मुस्कराहट को,
लादे थक चुके हैं हम।।
सांसे चल रही हैं पर,
कबके मर चुके हैं हम।।
कोई तो दफ़ना आओ,
टूटी हुई ख़्वाहिशों को मिरी।।
बरसों पहले ही दिल से,
रुख़सत कर चुके हैं हम।।-
Hobby- writing, painting, singing & dancing
पर सच कहूँ तो
अच्छे... read more
ज़रा ज़रा सी ज़िन्दगी,
फ़िसल जाएगी रेत सी इन हाथों से।
जी लो हर छोटे पल,
हर वक्त शिकायत न कर तू दूसरों की बातों से।
-
वो मेरी ज़िन्दगी में आकर चला गया,
जलता हुआ दीपक बुझा कर चला गया।
जानते थे वो डरते हैं हम रोशनी से फिर भी,
इक नया सूरज उगा कर चला गया।
-
उजाड़ कर हस्ती मेरी,
चलो किसी को घर तो मिला।।
हम तो पिजड़े में ही मग़रूर हुए बैठे हैं,
चलो उनको रिहाई का मंज़र तो मिला।।
अब तक हर वार पीठ पर सहे हमनें,
शुक्र है इस दफा सामने कोई खंज़र तो मिला।।
काटता रहा जो अब तक हरी टहनियाँ,
अब जाकर वो शैतान बंजर तो मिला।।
गिनाते फ़िरते हैं जो ख़ामियाँ सभी में,
चलो आज उनको कोई दर्पण तो मिला।।
बहुत गुमान था न उन्हें दौलत पर अपनी,
चलो आज उन पर कोई अतीव ऋण तो मिला।।
अब तक छीनता रहा ज़माना ख़ुशियाँ तिरी "ज्योति",
चलो आज कोई बेइंतहां अर्पण तो मिला।।
-
जो दिया करते थे तालीम हमें ज़िन्दगी की,
आज वो भी बेसुध खड़े हैं।
एक ओर हम रूठे बैठे हैं,
दूजी ओर वो भी ज़िद पर अड़े हैं।
कोई नहीं हर दफ़ा हमीं मान जाएंगे,
वो तो खैर औहदे में बड़े हैं।
हमें भी भाता है मस्तमौला रहना,
पर अभी जिम्मेदारियों में पड़े हैं।
दौड़ने को हम भी दौड़ सकते हैं ज़माने के साथ,
पर अभी पाँव में वक़्त के छाले जो पड़े हैं।
अब तो पाकर रहेंगें हम अपनी मंज़िल को,
देखो न काँटों की राह पर भी हँसकर चल पड़े हैं।-
एक वो थे जो
कर्मकांडों में ही पड़े रहे,
हमने दूसरों को ख़ुशियाँ देकर
मोक्ष प्राप्त कर लिया।-
गुस्सा नहीं आता,
तरस आता अब।
जब देखते हैं किसी को बंदी शरीर का नहीं,
मन का तब।-