QUOTES ON #परिधान

#परिधान quotes

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20 FEB 2018 AT 18:28

नारी के ओछे लगें, दुनीयाँ को परिधान,
नज़रों से हैं नापते, राह चलत श्रीमान...

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19 JUL 2019 AT 12:28

पुरुष कब तक बने रहेगा प्रधान
और स्त्री महज परिधान?

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कभी जाति कभी धर्म कभी आरक्षण का बोलबाला है
राजनीति के जानकारों का खेल बड़ा ही निराला है
किसको सत्ता में आना है किसको सत्ता से गिराना है
राजनीति है साहब बड़े- बड़े को कहाँ समझ आना है
कौन सा मुद्दा बड़ा बन जाये ये तो वक़्त की बातें हैं
वक़्त- वक़्त की बात है साहब वक़्त सभी का आना है
बड़ी- बड़ी बातें ही सत्ता की हक़दार है शायद
जुमला ही तो राजनीति का परिधान पुराना है
ना किसी का अपना होता यहाँ ना किसी का बेगाना
रिश्ते क्या हैं इसके आगे सबको धूल चटाना है
राजनीति का मकसद एक ही यही बस समझाना है
सत्ता जब तक मिले नहीं हर हथकंडे अपनाना है....!!!

Date:- 8 दिसंबर 2017©©

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धरती हमसे पूछ रही है?
हरित मेरा परिधान कहां है?

सूख रही है गंगा यमुना,
कल कल करता गान कहाँ है?

पूजा जाता था वृक्षों को,
दुर्लभ वो सम्मान कहां है?

जंगल कटे मिटाकर जीवन,
जीवों को विश्राम कहां है?

स्वतंत्र बताओ तुम भारत में,
प्रकृति का स्थान कहां है?

लुप्त हुई नन्ही गौरैया,
जीव दया का दान कहाँ है?

सिद्धार्थ मिश्र

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7 MAY 2019 AT 23:24

मैं तीर बन जाऊँ
तुम कमान बन जाओ
आओ आज मेरा
परिधान बन जाओ

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29 JAN 2018 AT 9:45

कितनी कहानियों को कविता का परिधान पहना दिया जाता है।

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10 APR 2017 AT 20:00

क्यों पहना रहे हो मुझे,
बार-बार वही परिधान,
जिसमें मेरे पर मुझे,
सिकुड़े हुए नजर आते है।

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शायद कोई कमी है लड़कियों के परिधान में !!
अंतःअंग प्रदर्शित करना नहीं है तेरे विधान में !!

हमेशा हम लड़के मानते है कि हम बहुत बुरे है
पर आखिर क्या हो गया तुम्हारे ईमान में !!

हर कोई तुमको सुरक्षित रहने की सलाह देता
कोई बात तो है तेरे यौवनकाल के उफान में !!

पिता की पगड़ी , माँ की भावना कुछ भी नहीं
क्या आगोशियाँ ही बच गई है तेरे अरमान में !!

किसी घर की गृहलक्ष्मी बनना है तुम्हें एक दिन
आखिर क्यों रहना चाहती हो इतनी गुमान में !!

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14 JAN 2018 AT 19:43

परिधान पश्चिमी हो या पूर्वी..
जब सोच और आँखो में हो गंदगी, तो क्या बुरका क्या साड़ी!

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8 NOV 2017 AT 12:33

तुम जो पहना गए थे मुझे कल सुरमयी शाम के शामियाने तले, आज भी मैं तुम्हारे लफ़्ज़ के उसी परिधान को पहने हूँ!
जो हो सके तो फिर किसी सांवली सी शाम में आकर
ये पुराना लिबास बदल दो मेरा किसी नए लफ्ज़ का लिबादा लपेट कर!!

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