रह लेती थी ख़ामोश अक़्सर।
क्योंकि मुझे अपने गमों की नुमाइश नामंजूर थी।-
हज़ारों कोशिशें नामंजूर हो जाती है
एक उनसे दूर जाने की...
वो मुस्कुरा कर देख भर लेते हैं
हमारे सारे शिकवे वहीं दूर हो जाते है...-
शायद..... प्यार का यही दसतूर है ,
पहला प्यार किस्मत को हमेशा ही नामंज़ूर है ।-
ना दूर जाना मंज़ूर है यहाँ
ना पास होना तस्सली दे रहा
दस्तूर-ए-मोहब्बत कुछ ऐसी हो गई है
उनका साथ होना भी अब ना होने सा लगने लगा।।
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पता नहीं चला क्या छूटता रहा,
दिल में बस कुछ यूँ टूटता रहा।
हमारी आँखें सिर्फ नम होती गई,
तुम्हारी यादें सिर्फ गम देती रही।
हमने तो सिर्फ तुमसे इश्क़ मांगा
तुमने भी बदले में इश्क़ ही मांगा।
इसलिए शायद हम अकेले रह गए,
ख्वाब जो थे सब आसूँ में बह गए।
ये तड़प है की हम सह नहीं पाते,
होंठ है मगर कुछ कह नहीं पाते।
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*"तेरी हर शिकायत मुझे मंजूर थी
पर तूने मुझे ही नामंजूर किया ,
*"कभी जीना नही चाहता था मेरे बिना
अब मुझे खुद से बहुत दूर किया.....💔🙌-
मोहब्बत करना, इतना आसान नहीं होता।
हर इक शायर इतना, बदनाम नहीं होता।
उपनाम बनते है सिर्फ नामंजूर मोहब्बत में
गर मुकम्मल हो इश्क़ तो कोई उपनाम नहीं होता।-
खुदा करे...
वोह दुआ कभी मंजूर ना हो जाए...
जिस मे तू किसी ओर को कुबूल हो जाए...-