जब छूटने लगे हम लोगो से तो बात समझ आयी,
क़ि लोग बदल जाते है नये लोग मिलने के बाद।-
अब नये जज्बात के साथ एक नई शुरुआत होगी,
अब एक कदम और मंजिल करीब होगी ,
अब दुबारा ना लौट के आने की ज़रूरत होगी ।।-
नये-नये अनजानों को दिल में नहीं बसा पाता हूँ मैं
जूने-पुराने मेरे अपने ही मेरी दुनिया हैं
- साकेत गर्ग 'सागा'-
नवाचार का विचार आना ही काफी नही है
उसको अमल में लाना बेहद कठिन काम है
जो किसी सोच को आगे नही बढ़ने देता
और वो दफ़न हो जाती है सिर्फ विचारो में-
"पुराने सम्बंध इतने गहरे होते हैं के वो अपनी जगह दिल के किसी कोने में कुछ इस तरह बना लेते हैं,
के नये रिश्ते चाह कर भी उनकी जगह कभी नहीं ले पाते"।-
तेरे बिन यूँ,गुजारा हो रहा है?
चले जाओ इशारा हो रहा है.!
चले हैं इस तरह तन्हा सफर पे,
सफ़र से ज्यों किनारा हो रहा है!
समझते थे उमर भर गैर जिसको,
वो ही देखो हमारा हो रहा है..!
जो है दिल में अधूरी तेरी हसरत,
ये दिल!टूटा सितारा हो रहा है..!
समेटो जुल्फ़ कि बिखरें न मोती,
इन्ही से अब सहारा हो रहा है.!
तेरी आंखें दिखाती हैं जो सपने,
नये कल का इशारा हो रहा है..!
तुम्हे कैसे बताएं अब सनम हम?
स्वतंत्र!ये दिल तुम्हारा हो रहा है.!
सिद्धार्थ मिश्र-
नये लोग जुड़ रहें पुराने पीछे छुट रहे हैं।
कर रहा हूं कोशिशे साथ सब को ला रहा हूं।
छुट जाये ना कोई सबको अपना रहा हूं।
ग़र छुट भी गया कोई माफ़ कीजिएगा ।
भुला के सारे गिले शिकवे साथ ना छोडिएगा।
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हाइकु -
अधूरी बातें
फैली हैं क्यों तन्हाई
याद जो आई
मिलने आओ
नये साल के जैसे
दूर हो कैसे
-
,
हर चाल पर ख्वाब सज़ा रहे है हम ।
कल पुराने साल में जी रहे थे ,
आज नये साल को गले लगा रहे है हम ।-
सोचते हैं रोज़ तुम्हारे लिए कुछ नया करें,
तुम देखते ही मुस्कुरा जाओ कुछ ऐसा करें
बे-रंग सी है तुम बिन सारी दुनिया,
सोचते हैं साथ तुम्हारे इसमें नये रंग भरें।
सपने तुम्हारे हैं जो अनकहे-अनसुने से,
आओ साथ मिलकर उन्हें पूरा करें।-