एक आवाज जो समवेत स्वर में गूंजेगी
उखाड़ फेंकेगी
तमाम बड़े लोगो के मजबूत पैरों को
और इस एक आवाज में होगी
मेरी आवाज !
मैं सोचती हूं कि
ये जो सिर्फ मेरे सन्नाटे से डर जाते हैं
क्या होगा इनका जब सुनेंगे मेरी दहाड़।
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धीरे - धीरे वो शोर
उनकी दीवारों को चीरता हुआ ,अंदर आने लगा
धीरे - धीरे और पास ...
फिर अचानक ,बिना नकाब के कुछ चेहरे
घर में दाखिल हुए ,बेधड़क ! बेवाक!-
सब कुछ दिल में दबा के रखा है
खुद ही नहीं पता कि वो कहां है
फिर भी हर रोज़ याद करते है
शायद अभी भी हम उनसे इकरार करते है।-
जो कभी मिला ही नहीं, मैंने उसे भी खो दिया
एक बीज था जिसे बिना पानी के ही बो दिया
अंकुर उसका फूटना ही न था,
शायद तभी मैंने भी बिना आंसुओं के रो लिया।
यूं ही बदलते बदलते क्या कुछ नहीं बदला
जमाने से लेकर ,जो अपना था वो भी बदला
बदलने को कुछ बचा न था
इसलिए शायद मैंने अब खुद को बदल लिया।-
कलमकारी में माहिर लोग,
भावनाएं नहीं कह पाते,
और भावनाओं से लबालब भरे लोगो का
शब्दों पर अधिकार नहीं है।
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कुछ नहीं बस यूं ही चुप हो गई हूं
अब थोड़ा वक्त लेकर खुद से लड़ रही हूं!
जाने क्या - क्या सोच रखा है जमाने ने मेरे बारे में
अब मैं भी कुछ नया खोज रही हूं
ठहर जाते है कुछ लोग चलते रास्तों पर
मैं ठहरी हुई,रास्तों पर चल रही हूं।-
चलते चलते ये सफर हसीन हो गया,
वो हमसे मिल कर खुशनसीब हो गया,
हमने जाना था उसे, अभी कुछ दिनों पहले,
मगर देखो ना इतने जल्दी वो हमारे करीब हो गया।-
There is something in my mind
That was not real,but
When I think about it
It seems so real,Hahaha!
I'm in imagination in this fake world
Where nothing is yours exept You.
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